सियासत की भूखे रहें हैँ स्वामी प्रसाद मौर्य….
एटा

आपको याद होगा कि जब बसपा सुप्रीमो मायावती जी द्वारा स्वामी को उनके चहेते उम्मीदवारो को मनमाफिक टिकट नहीं दिया गया तब भी स्वामी प्रसाद मौर्य नें यही किया था कि बसपा को छोड़ दिया था। बैसे तो स्वामी बसपा के काडर फ्रंट रहें हैँ काशीराम जी के बड़े सहयोगी भी रहें थे व बाद मेँ बसपा को खड़ा करने मेँ भी अहम् किरदार निभाया था. लेकिन कहते है कि पेट का भूखा आदमी कुछ भी खा कर सो सकता हैँ लेकिन सत्ता का भूखा सत्ता बिना नहीं रह सकता है ??मौर्य शुरू से ही बसपा को हथियानें को बैठे थे क्यूंकि मौर्य का शुरू से ही कहना था कि बसपा सुप्रीमो केंद्र की राजनीति करें व हम लोग राज्य की राजनीति को देखते रहेंगे परन्तु सुप्रीमो बसपा नें उन्हें समय देखते दरकिनार कर दिया था। अब फिर वही खेल शुरू हो रहा हैँ 2017 मेँ मौर्य बीजेपी मेँ आये थे निर्माण विभाग,कारागार विभाग, व वन विभाग के साथ उप मुख्यमंत्री बननें के लिए लेकिन आना सार्थक नहीं हुआ था।समय का इंतज़ार किया….!!!
2016 मेँ आना हुआ….
जब बसपा को छोड़ा गया था तब भी स्वामी प्रसाद मौर्य नें बसपा से 26-27 सीटों को माँगा था लेकिन मायावती के विश्वास पात्र लोगों नें समय पूर्व बता दिया था कि मौर्य पार्टी के साथ धोखा करने वाले हैँ और2016 मेँ बीजेपी ज्वाइन कर ली गई। यह वही मौर्य हैँ जो मायावती जो पेसो की पुजारिन और बसपा को ओधोगिक कंपनी कहा था कि बिना पैसे के मायावती टिकट नहीं देती हैं।स्वामी प्रसाद मौर्य नें सपा के लिए भी बड़े-बड़े वयान दिए थे जिसमें बड़ा वयान था कि सपा गुंडों की पार्टी हैँ सपा किसी का भला नहीं कर सकती हैँ अगर OBC और दलित का भला हो सकता है तो सिर्फ बीजेपी मेँ…. क्या सत्ता मेँ वयान कोई अहमियत नहीं रखते है क्या राजनीति मेँ खुद के चरित्र से बड़ा स्वार्थ होता हैं…. ऐसे ही बहुत से सबाल स्वामी प्रसाद मौर्य का बीजेपी छोड़ने के साथ खड़े हो गए हैँ।……
छोड़ने के कारण जान लीजिये….
बीजेपी से स्वामी का इस्तीफा देने के कई कारण नहीं हैँ फिर वही पुराने तीन कारण हैँ…।
1- मुझें 26-27 सीटे चाहिए…
2- मुझें बीजेपी नें चुनाव समिति मेँ क्यूँ नहीं शामिल किया गया।
3-मुझें उपमुख्यमंत्री चेहरा बनाया जाये
अगर गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर भी नहीं रुके तब….
भारतीय राजनीति में बीजेपी के काडर वोट को सबसे उम्दा खिलाडी माना जाता हैँ ….।उत्तर प्रदेश मेँ दूसरे नंबर पर बसपा का काडर वोट सबसे ख़तरनाक स्थिति मेँ हैँ।यह दोनों पार्टियों किसी को भी हराने और जिताने का माद्दा रखती हैं इसका बड़ा उदाहरण मुख्यमंत्री बंगाल ममता बनर्जी का हैँ। राजनीति के जानकार यहीं कहते है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने का मतलब राजनीति से विदाई हो जाना माना जाये… क्यूंकि बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश की राजनीति की सत्ता हासिल करना मुख्य उद्देश्य हैँ। वो फिर चाहे बसपा की झोली ही क्यूँ ना भरे….।
देखना हैँ कि मौर्य.सैनी,कुशवाह, शाख्य स्वामी प्रसाद मौर्य के इस निर्णय से कितने पग साथ हैँ।