लेखपाल द्वारा की गई अभद्रता के विरोध में भाकियू स्वराज का दूसरे दिन भी रहा तहसील पर धरना जारी

लेखपाल द्वारा की गई अभद्रता के विरोध में भाकियू स्वराज का दूसरे दिन भी रहा तहसील पर धरना जारी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के पहुंचते ही एसडीएम और सीओ भी पहुंचे धरना स्थल पर।
जलेसर। जलेसर तहसील क्षेत्र में सरकारी चकरोडो पर हो रहे लगातार कब्जे तथा लेखपाल द्वारा भाकियू स्वराज के कार्यकर्ताओं को साथ की गई अभद्रता के विरोध में मंगलवार को शुरू किया गया धरना प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। बुधवार को सुबह से ही सैकड़ों की तादाद में मौजूद रहे किसानों द्वारा तहसील प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की तथा प्रशासन पर भू माफियाओं से मिल कर सरकारी चकरोडो आदि पर कब्जा करने का आरोप लगाया। साथ ही तहसील एक लेखपाल की हुई वायरल ऑडियो में किसानों के साथ किये गई अभद्र भाषा का प्रयोग को लेकर किसानो तथा भाकियू स्वराज के पदाधिकारियों में भी आक्रोश व्याप्त है। बुधवार को भाकियू स्वराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप पांडे भी अपने काफिले के साथ धरना स्थल पर पहुंचे और तहसील प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी मुद्दा बनाया। तथा तहसील प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि लेखपाल के विरुद्ध कार्रवाई नही हुई तो यह धरना अनबरत चलता रहेगा। तथा जलेसर से निकलने वाले मार्गो को जाम कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप पाण्डेय के धरना स्थल पर पहुंचते ही तहसील प्रशासन में हरकत में आ गया और थोड़ी ही देर में एसडीएम जलेसर राम नयन सिंह तथा सी ओ इरफान नासिर खान भी मौके पर पहुंच गए और फिर अधिकारियों और भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप पांडे के बीच वार्ता का दौर चला। एसडीएम राम नयन सिंह द्वारा तहसील क्षेत्र में अवैध कब्जा से ग्रस्त सभी चकरोडो की पैमाइश कराने हेतु गुरुवार से टीम भेजे जाने तथा वायरल ऑडियो को लेकर संबंधित लेखपाल को स्पष्टीकरण दिए जाने हेतु नोटिस दिए जाने की कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया गया। लेकिन भाकियू स्वराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप पांडे ने कहा कि हम प्रशासन की हर बात मानने तैयार हैं लेकिन जब तक अभद्रता करने वाले लेखपाल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तब तक यह धरना बदस्तूर जारी रहेगा। चाहे इसके लिए हमें एक माह तक क्यों न बैठना पड़े।
धरना स्थल पर मुख्य रूप से जिला उपाध्यक्ष लव पाराशर हरि सिंह, हरि सिंह सुगड़ सिंह यादव नवनीत पचौरी मलखान सिंह ठाकुर दास अन्य सैकड़ों की तादाद में किसान मौजूद थे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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