पुलिस के खिलाफ अभियुक्तों ने दर्ज कराया मुकदमा।

गोमती नगर विस्तार थाने से जेल गए अभियुक्तों ने ही लखनऊ पुलिस क्राइम टीम के खिलाफ कानपुर कोर्ट को गुमराह कर 156(3) के तहत दर्ज कराया फर्जी मुक़दमा। कानपुर कोर्ट में सटोरियो का सपोर्ट करने वाले वकीलो का बोलबाला, सोशल मीडिया पर पुलिस पर दबाव बनाने के उद्देश्य से वायरल किया गया। ऐसे फर्जी आरोपो से कैसे काम करे पुलिस।
आपको बता दें कि पूरा मामला उस वक्त का है जब पुलिस उप आयुक्त पूर्वी संजीव सुमन, अपर पुलिस उप आयुक्त पूर्वी कासिम आब्दी, एसीपी गोमती नगर स्वेता श्रीवास्तव व एसएचओ गोमती नगर विस्तार अखिलेश चंद्र पांडेय के पर्यवेक्षण में 25 जनवरी 2021 को 4 सट्टेबाजों गोमती नगर विस्तार संयुक्त पुलिस टीम ने हार जीत की बाजी लगा रहे अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आपको बता दें क्रिकेट मैच में हार जीत के नाम पर सट्टा लगा कर मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से लोगों को लिंक भेज कर पॉइंट सेट कर लोगों को धोखा देकर रुपयों का लेनदेन किया जाता था तथा फर्जी नाम से बनाई गई आईडी से मोबाइल एप्लीकेशन साइड हैक कर तत्काल परिणाम को छुपा कर लोगों को धोखा देकर हार जीत के स्कोर पर बाजी लगाया जाता था अभियुक्तों द्वारा बिग बैश लीग ऑस्ट्रेलिया में T 20 क्रिकेट लीग के मैच पर सट्टा खेला जा रहा था तभी गोमती नगर विस्तार की संयुक्त पुलिस टीम द्वारा 25 जनवरी 2021 को 4 सट्टेबाजों को गिरफ्तार किया गया जिसमे मयंक सिंह, दुर्गा सिंह आकाश गोयल ये तीनो कानपुर निवासी वहीं शमशाद अहमद लखनऊ निवासी था इन चारों के कब्जे से 23 लाख रुपए भारतीय मुद्रा 8030 नेपाली मुद्रा फॉर्च्यूनर कार लैपटॉप मोबाइल फोन आदि सामान बरामद किया गया। अभियुक्त गणों द्वारा अपनी जमानत करा कर कानपुर कोर्ट के माध्यम से लखनऊ पुलिस कमिश्नर को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया आपको बता दें लखनऊ पुलिस क्राइम टीम के खिलाफ कानपुर कोर्ट में वकीलों को गुमराह कर 3 नवम्बर 2021 को 156/3 के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया है अब देखने वाली बात यह होगी की कानपुर पुलिस किस तरह उप निरीक्षक रजनीश वर्मा, कांस्टेबल संदीप शर्मा, नरेन्द्र बहादुर सिंह, राम निवास शुक्ला, आनंद मणि सिंह, अमित लखडा व रिंकू आदि आरोपी पुलिस कर्मियों को कैसे बचाती है। सवाल यह भी उठता है कि यदि यह पुलिस कर्मी आरोपी है तो कहीं न कहीं इनको आदेशित करने वाले व इनके साथ काम कर रही पूरी टीम व उच्च अधिकारी भी आरोप की श्रेणी में है, क्योंकि उन्ही के मार्गदर्शन में काम कर रही थी लखनऊ गोमती नगर विस्तार की संयुक्त पुलिस टीम। सवाल यह भी उठता है कि सभी आरोपियों के परिजनों ने तत्काल ही पुलिस कार्यवाही के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यो नही की आखिर 4 अभियुक्तों ने जमानत पर आने के पश्चात ही कार्यवाही क्यों करी। उन चारों अभियुक्तों द्वारा अपने ऊपर हुए लखनऊ पुलिस की कार्यवाही से नाराज होकर बदले की भावना से तो मुकदमा नही कराया गया। इस बिंदु पर भी कानपुर पुलिस को बहुत ही गहनता से विचार कर कार्यवाही करनी चाहिए।