
प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक या इंटरनेट मीडिया में दलित शब्द का प्रयोग न किया जाए
-राकेश जैन
दलित शब्द का शाब्दिक अर्थ है-दलन किया हुआ। भारतीय वांगमय में दलित का अर्थ शंकराचार्य जी ने मधुराष्टकम् में द्वैत से लिया है। उन्होंने ‘दलितं मधुरं’ कहकर श्रीकृष्ण को सम्बोधित किया, उनके कहने का अर्थ है कि श्रीकृष्ण जी के पांवों तले दली गई या कुचली गई हर वस्तु मधुर है।
पंजाब अनुसूचित जाति आयोग ने चेतावनी दी है कि अनुसूचित जाति के लोगों के लिए प्रयोग किए जाने वाले दलित शब्द से गुरेज किया जाए। प्रदेश में हाल ही में हुए नेतृत्व परिवर्तन के दौरान नए मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को लेकर बार-बार दलित जैसे आपत्तिजनक व अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया गया। आयोग की अध्यक्षा श्रीमती तेजिन्दर कौर ने इसे गम्भीरता से लेते हुए कहा कि देश के संविधान व विधान के किसी भी अध्याय में इस शब्द का वर्णन नहीं है, इसीलिए इंटरनेट मीडिया, प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के साथ-साथ सामान्य बोलचाल की भाषा में अनुसूचित जाति के लिए दलित शब्द का प्रयोग न किया जाए।
आयोग की अध्यक्षा ने संदर्भ दिया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ की तरफ से 15 जनवरी 2018 को जनहित याचिका 20420 का 2017, डाॅ0 मोहनलाल माहौर बनाम भारतीय संघ व अन्य के अंतर्गत निर्देशित किया गया है कि केन्द्र या राज्य सरकार और इसके अधिकारी व कर्मचारी अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए ‘दलित’ शब्द का प्रयोग करने से परहेज करें, क्योंकि यह भारत के संविधान या किसी कानून में मौजूद नहीं है। उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए ही केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय सभी राज्य व केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दे चुका है कि अनुसूचित जातियों से सम्बंधित व्यक्तियों व वर्गों के लिए ‘दलित’ की बजाय ‘अनुसूचित जाति’ शब्द का ही प्रयोग किया जाए। हाल ही में पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग 13 सितम्बर 2021 को प्रदेश की मुख्य सचिव विनी महाजन को लिए एक पत्र में जाति आधारित नामों वाले गांवों, कस्बों और अन्य स्थानों के नाम बदलने और ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से परहेज करने के लिए कह चुका है। इसके अलावा वर्ष 2017 में राज्य सरकार की तरफ से सरकारी कामकाज में हरिजन और गिरिजन शब्द नहीं बरतने का भी निर्देश दिया था।