आखिर भारत (आर्यावर्त) तेरे कितने टुकड़े होंगे? – अजीत सिन्हा

आखिर भारत (आर्यावर्त) तेरे कितने टुकड़े होंगे? – अजीत सिन्ह
राँची (झारखण्ड) – प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अजीत सिन्हा ने कहा कि अखण्ड भारत के सपना देखने वाले आज के लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि अब और कितने टुकडे होंगे पुराने आर्यावर्त और आज के भारत के और इन स्थितियों के लिये जिम्मेदार कौन है?
विदित हो कि 1378 ईस्वी में भारत का एक अंग कटा जिसका नाम है ईरान, 1761 में एक हिस्सा भारत से और अलग हुआ जो आज अफगानिस्तान के रूप में जाना जाता है और जिस पर आज की तारीख में दुर्दांत तालिबान का शासन है, 1947 भारत का एक अंग और कटा जो पाकिस्तान के रूप में जाना जाता है लेकिन आतंकीस्तान जैसी छवि उसकी पूरे विश्व में है, 1971 में पाकिस्तान को काटकर एक बांग्लादेश बना। और यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि ये सभी इस्लामिक मुल्क हैं लेकिन देखा जाये तो कोई भी मुल्क सुखी नहीं है और इनमें पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान की हालत तो बिल्कुल खराब है क्योंकि जेब में दाने नहीं और चले हैं मियां नये इस्लामिक राष्ट्र बनाने।
जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि इस्लामियों एक ऐसी संस्था है जिसका मिशन ही है कि पूरे विश्व के देशों को इस्लाम की छतरी के नीचे देखने का और इस संस्था के अंतर्गत कई ऐसी संस्थाएं हैं जिन्हें सभी इस्लामिक मुल्कों का तो समर्थन तो प्राप्त है ही साथ में इनकी मदरसे जैसी आतंक की फैक्ट्रीयों से निकले जेहादियों एवं अन्य देशों में रहने वाले मुसलमानों का समर्थन प्राप्त है। जो काफ़िरों अर्थात्‌ अन्य धर्म के मानने वालों के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत हैं और जिन्होंने 1952 से 1990 के बीच कश्मीर को इस्लामिक राज्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और इस तरह से केरल, पश्चिम बंगाल समेत भारत के छः राज्यों को इस्लामिक बनाने की पूरी तैयारी में हैं और साथ इनको काटकर एक मुगलिस्तान बनाने के सपनों की ओर अग्रसर हैं और वह दिन दूर नहीं कि भारत धर्म युद्ध की आग में तपने वाला है यदि समय रहते इन पर कठोर कारवाई कर इनके बढ़ते कदम को नहीं रोका गया। इस बढ़ते हुए कदम को रोकने के लिए कई तरीके हैं जिनमे महत्तवपूर्ण ये है कि उनकी आर्थिक बहिष्कार का उनकी आर्थिक कमर पर प्रहार की जाये इसके लिए बहुसंख्यक समाज को उनके दुकानों, प्रतिष्ठानों से किसी भी तरह की लेन-देन नहीं करनी होगी और न ही उन्हें अपने दुकानों, प्रतिष्ठानों एवं फैक्ट्रीयों में उन्हें काम पर ही रखें क्योंकि वर्मा और आज के म्यांमार के विराथु जी ने कहा है कि आप पागल कुत्तों के साथ नहीं सो सकते।
अब ये प्रश्न है कि आखिर खण्डित भारत अखण्ड बनेगा कैसे? मेरी समझ से इस पर भारत सरकार को सोंच कर एक ठोस नीति बनानी होगी और उनकी प्रत्येक हरकतों एवं हथकंडों को असफल करने हेतु प्रयास करनी होगी। लेकिन भारत की यदि बहुसंख्यक समाज चाहे तो यह काम जल्दी हो सकता है और जेहादियों, गद्दारों एवं देशद्रोहियों का पलायन हो सकता है। जिनकी बुनियाद ही आतंक पर टिकी हो उन्हें साथी नहीं बनाया जा सकता है इसलिए उनका हर मोर्चों पर बहिष्कार करने की जरूरत है लेकिन प्राथमिकता के रूप सामाजिक एवं आर्थिक बहिष्कार ही उत्तम होगी। जय हिंद

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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