
एटा ! कोविड-19 पर काफी हद तक नियंत्रण पाने के बाद मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों का आयोजन दोबारा शुरू हुआ। जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी और स्वास्थ्य उप केंद्रों पर आयोजित इस मेले में मरीजों की निशुल्क जांच और दवाइयां दी गईं।
रविवार को आयोजित हुए मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले का उद्घाटन राज्य स्वास्थ्य मंत्री अतुल गर्ग ने किया। उन्होंने कहा कि बीते कई महीनों कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण से मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला आयोजित नहीं हो पा रहा था। फिलहाल खुशी की बात है कोविड प्रोटोकाल के साथ यह आयोजन हम दोबारा करने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना काल ने हमें यही सिखा दिया है कि स्वास्थ्य अब हमारी प्राथमिकता है। इसमें लापरवाही हम सभी के लिए घातक होगी। इसलिए मेरी अपील है कि कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए लोग मेले में आएं और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि शासन के निर्देश पर जिले के 36 स्वास्थ्य केंद्रों पर आरोग्य स्वास्थ्य मेलों का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ्य उप केंद्र, पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल सम्मिलित है। इस दौरान 3570 लाभार्थियों का पंजीकरण कर उन्हें लाभान्वित किया गया।मेला कराने का उद्देश्य स्पष्ट है कि एक ही छत के नीचे लोगों को अधिकाधिक स्वास्थ्य सुविधाएं, जांच, उपचार और दवाएं आदि उपलब्ध हो। हमारा प्रयास है कि इस मेले से अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हों। उन्होंने बताया कि मेला परिसर में प्रवेश करने से पूर्व प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जा रही है। मेले में मास्क और सेनिटाइजर की भी व्यवस्था है। सभी लोग सहयोगात्मक व्यवहार करें। इससे जांच, उपचार और दवाओं आदि की सुविधा आसानी से मिल सकेगी।
लाभार्थियों ने सराहा ———-
शीतलपुर के निवासी अनिरुद्ध ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला के आयोजन से बहुत संतुष्ट हूं। यहां तो घर के सभी लोग एक साथ आकर अपना-अपना इलाज करवा सकते हैं। मैंने भी अपनी समस्या पर डॉक्टर से परामर्श ले लिया।
इनसेट —
मेला में मिलीं सुविधाएं —
मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों में गोल्डन कार्ड बनवाने, गर्भावस्था एवं प्रसवकालीन परामर्श, पूर्ण टीकाकरण एवं परिवार नियोजन संबंधी साधनों एवं परामर्श की व्यवस्था रही। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव संबंधी जागरूकता, जन्म पंजीकरण परामर्श, नवजात शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा परामर्श एवं सेवाएं, बच्चों में डायरिया एवं निमोनिया की रोकथाम के साथ ही टीबी, मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, कुष्ठ आदि बीमारियों की जानकारी, जांच एवं उपचार की नि:शुल्क सेवाएं दी गई। पीएचसी पर जो जांचें नहीं हो पाईं उन मरीजों को जांच के लिए सीएचसी अथवा जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।