कल्याण सिंह बाबू जी की अस्थि कलश यात्रा को भव्यता के साथ पूर्ण किया
कार्यक्रम के अनुसार कल्याण सिंह बाबू जी के अस्थि कलश सही समय पर कासगंज शहर मे भ्रमण होते हुये एटा जनपद के लिये कलश को लाया गया.

बाबू जी के चाहने वालो ने नम आँखो से अस्थि कलश के दर्शन किये. युवा हो या बुजुर्ग सभी ने बाबू जी के जयकारो से गली रास्तो को एहसास कराया कि एक महामानव की विदाई किस रुप मे की जाती है.
कासगंज प्रशासन ने मुस्तेद प्रोटोकोल के साथ अस्थि कलश को विदाई
अस्थि कलश यात्रा पूर्व निर्धारण कार्यक्रम के अनुसार ही शुरु हुआ वही कासगंज जनपद के जिलाधिकारी सी.पी.सिंह व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहन प्रमोद बोत्रे की जितनी तारीफ़ की जाये कम है .जिस रास्ते से भी कलश यात्रा रही हो पुलिस विभाग ने बेरिकेटिन्ग करके आवागमन को रोक कर कलश यात्रा को पूरा किया.जब कि कासगंज के घन्टाघर क्षेत्र के विषय मे सभी को जानकारी है कि सबसे व्यस्त बाजार होने के बाद भी पुलिस व्यव्स्था के लोग कायल थे.
कासगंज से होते हुये वाया मिरहची कस्बा के रास्ते एटा मे अस्थि कलश ने 12:40 पर अपने कदम रखे.कलश यात्रा की एटा जनपद को पूर्व मे जानकारी होने के बाद भी कलश यात्रा के दौरान अव्यव्स्था देखने को मिली.जी टी रोड रेलवे पुल से होते हुये पुरे बाजार मे कही भी ट्रेफ़िक व्यव्स्था दुरुस्थ देखने को नही मिली.जनपद के एक स्थान के बेरिकेटिन्ग के सिवा कही भी एटा पुलिस की व्यवस्था सही नही थी.इससे तो यही लग रहा था कि BJP सरकार की मंशा के अनुसार काम ना करने की कसम खाई है एटा प्रशासन द्वारा.
प्रशासन एटा के लिये कल्याण सिंह बाबू जी की अस्थि कलश यात्रा महत्वपूर्ण नहीं थी?
BJP के हिन्दुत्व चेहरे के एक मात्र महामानव बाबू जी की अस्थि कलश प्रशासन एटा के लिये शायद उतना मह्त्वपूर्ण ना होगा जितना कासगंज जनपद के प्रशासन के लिये हो.जनपद के शुरुआती मिरहची थाने की बात की जाये या फ़िर जनपद की ठन्डी सड़क की चर्चा करे.पुलिस अपने काम मे मस्त देखने को मिली.कई स्थानो पर ट्रेफ़िक इस कदर अस्थि कलश काफ़िले पर हावी था कि कह सकते थे कि एटा मे प्रशासन के नाम का कोई अधिकारी है ही नहीं..
एटा जिलाधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी से हाथ पीछे किये
कासगंज जिलाधिकारी सी.पी.सिंह ने जहा एक तरफ़ अस्थि कलश को पूरे प्रोटोकोल के साथ विस्रजन कराया.वही एटा जिलाधिकारी द्वारा रेलवे पुल तक ही कलश को नमस्कार कर अपने हाथो को झाड लिया.जिस अस्थि कलश यात्रा के लिये शासन स्तर से भी पेनी नजर रखी जा रही हो उस यात्रा के लिये जिले के किसी भी अधिकारी ने चार कदम आगे कर जिले के बोर्डर तक साथ नही दिया.एसे मे इसे क्या माना जायेगा.?????
जनपद BJP का पूरा कुनवा गायब था
एक कहानी हो तो कही जाये कल्याण सिंह बाबू जी के अस्थि कलश के लिये खुद योगी आदित्यनाथ भी समय और समझ रहे हो. उस BJP के स्थानिये पदाधिकारी अस्थि कलश के दौरान लगभग गायब थे.अगर सही मायनो मे बात की जाये तो BJP के सभी वर्गो के पदाधिकारी मुह दिखाई के सिवा कुछ और नहीं थे.अब देखते हैं क्या होता है…..
जिला अध्यक्ष BJP सन्दीप जैन अस्थि कलश यात्रा मे लगभग फ़ेल
BJP के कुछ एक पदाधिकारी को अगर छोड़ दिया जाये तो सभी गधो के सिन्घ की तरह फ़ुर्र हो चुके थे.अब एसा क्यू था यह एक शोध का विषय है.जिले मे असरोली ब्लाक प्रमुख पुष्पेन्द्र लोधी व बजरग दल के पदाधिकारीयो द्वारा अस्थि कलश के दर्शन व विदाई कार्यक्रम रखा गया था.जब कि जिलाअध्यक्ष सन्दीप जैन व जिले की पूरी कार्यकारिणी अस्थि कलश कार्यक्रम से दूर ही थी.अस्थि कलश यात्रा मे जिले के पदाधिकारीयो मे सामन्जस्य ना के बराबर देखने को मिला……
एक तरफ़ अस्थि कलश तो एक तरफ़ जनप्रतिनिधि
एक लोकसभा सात विधायक दो जनपद …
अस्थि कलश के साथ-साथ सिर्फ़ मात्र तीन विधायक थे.
सत्यपाल सिंह (अलीगंज)
देवेन्द्र राजपूत (कासगंज)
वीरेन्द्र लोधी (मारहरा)
जिस नाम के बलबुते जनपद एटा के या एसे कह सकते है कि BJP की सरकार के पैर पाताल से लेकर आसमान तक जमे हुये है उस शख्स के अस्थि कलश मे विधायको के पास समय नहीं था कि जिसमे सबसे बड़ा दारोमदार विपिन कुमार वर्मा डेविड का है जो कि सदर एटा से वर्तमान मे विधायक है.जो कि एक सन्घटन के कार्यक्रम की भागीदारी के लिये आगरा मे थे.वही दूसरे बड़े विधायक ममतेश शाख्य जो कि पूरे अस्थि कलश यात्रा मे गायब थे.जब कि परिवार के सदस्यो की गिनती भी बडी है लेकिन एक परिवार का जिम्मेदार व्यक्ति नही था.क्यूकि सभी बड़े ठेके लेकर कामो मे व्यस्त थे.सन्जीव दिवाकर (विधायक) जो कि सभी धन्धो मे अव्वल रहने वाले विधायक है. जुए से लेकर शराब का धन्धा इनकी देख-रेख मे फ़लफ़ूल रहा है परंतु अस्थि कलश के दौरान धोबी के गधे की तरह यह भी लगभग गायब ही थे!
अमापुर से विधायक के पुत्र द्वारा अपने पिता की जिम्मेदारी को बखुबी निभाया गया.क्यूकि देवेन्द्र लोधी की मृत्यु भी कुछ समय पहले ही हुई थी.जिसके फ़लस्वरुप उनके पुत्र उनके स्थान को भरने का प्रयास कर रहे हैं.
यह लेखाजोखा इस लिये भी जरुरी है क्युकि कल्याण सिंह की जरुरत इन सभी विधायको को चुनावी मन्चो पर पडेगी.तब यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि कितने घडियाली आसुओ से रो रोकर बतायेगे कि बाबू जी कितने महान थे और व्यक्तिगत हमे कितना प्रेम करते थे…..कई तो एटा के विधायक एसे भी है जो खुद को बाबू जी का दत्तक पुत्र भी कहते सुने गये है……
अब कल्याण सिंह बाबू जी नही रहे हैं. अब कल्याण सिंह बाबू जी बनकर दिखाओ. कुछ इस तरह की आवाज युवाओ ने वर्तमान समाजसेवियो से रुबरु होकर कहनी शुरु कर दी है..
5 जनवरी तो आयेगी लेकिन कल्याण सिंह जन्म नही लेगे
बस…… ,,…..