अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा हेबियस कॉर्पस याचिका दायर नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा हेबियस कॉर्पस याचिका दायर नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

⚫इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण (हेबियस कॉर्पस) याचिका दायर नहीं की जा सकती है।

न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ नेअपनी पत्नी को पेश करने की मांग वाली पति की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि,

????”आपराधिक और दीवानी कानून के तहत इस उद्देश्य के लिए अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण (हेबियस कॉर्पस) याचिका दायर नहीं की जा सकती है और इस संबंध में शक्ति का केवल तभी प्रयोग जा सकता है जब एक स्पष्ट मामला बनता है।”

संक्षेप में मामला

????याचिकाकर्ता संख्या 2 (पत्नी) ने अपने पति (याचिकाकर्ता संख्या 1) के साथ कुछ गंभीर मतभेदों के कारण जून, 2019 में अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया।

इसके बाद पति द्वारा वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक आवेदन (वर्तमान में लंबित) दायर किया गया।

????पति ने दावा किया कि नवंबर, 2020 के महीने में उसे सूचना मिली कि उसकी पत्नी को उसके पैतृक घर में कस्टडी में रखा गया है और इस तरह उसने पत्नी को पेश करने की मांग करते हुए तत्काल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की।

न्यायालय की टिप्पणियां

????अदालत ने कहा कि यह बताने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि याचिकाकर्ता संख्या 2 को जबरन ले जाया गया था और यह स्पष्ट है कि उसकी पत्नी ने अपने पति के साथ कुछ गंभीर मतभेदों के कारण अपने वैवाहिक घर को अपनी मर्जी से छोड़ा था।

???? कोर्ट ने इसके अलावा मोहम्मद इकराम हुसैन बनाम यूपी राज्य एंड अन्य और कानू सान्याल बनाम जिला मजिस्ट्रेट दार्जिलिंग के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण का रिट एक विशेषाधिकार रिट और एक असाधारण उपाय है और यह अधिकार का रिट है और निश्चित रूप से रिट नहीं है और यह केवल उचित आधार या संभावित कारण दिखाने पर दिया गया है।

अदालत ने आगे कहा,

▶️”किसी व्यक्ति के कहने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण के रिट का उपाय किसी पर कब्जा करने के लिए निश्चित रूप से उपलब्ध नहीं होगा, जिसे वह अपनी पत्नी होने का दावा करता है।”

⏩कोर्ट ने देखा कि तत्काल मामले के तथ्यों में याचिकाकर्ता संख्या 2 ने वैवाहिक मतभेद के कारण अपने वैवाहिक घर को अकेले छोड़ दिया था। अदालत ने कहा कि पति द्वारा तत्काल याचिका में बंदी प्रत्यक्षीकरण के रिट की मांग की गई है। यह विचार करने योग्य नहीं है।

केस का शीर्षक- मो. अहमद एंड अन्य प्रतिवादी बनाम यू.पी. राज्य एंड चार अन्य

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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