मिर्जापुर से तय होता है भारत का मानक समय,जानें- सीरीज से कितना अलग है

‼️इतिहास‼️मिर्जापुर से तय होता है भारत का मानक समय,जानें- सीरीज से कितना अलग है ये जिला मिर्जापुर सीरीज का सीजन 2 अपने हफ्ते भर से चर्चाएं बटोर रहा है. कालीन भईया,गुड्डू, मुन्ना त्रिपाठी, गोलू से लेकर जेपी यादव तक क्राइम, पॉवर पॉलिटिक्स,गुंडाराज,स्मगलिंग के शासन वाला एक शहर जहां किंग ऑफ मिर्जापुर का राज है. सीजन-2 आने के बाद सोशल मीडिया में कई आवाजें उठ रही हैं जिसमें कहा जा रहा है कि ये सीरिज मिर्जापुर जिले की बदनामी कर रही है. इस सीरीज से ऐसा लग रहा है कि यूपी के कई जिलों में इस तरह के काम खुलेआम हो रहे हैं. लेकिन असलियत में मिर्जापुर जिला इससे अलग है.आइए जानें कि मिर्जापुर कैसे सीरीज में दिखाए गए मिर्जापुर से एकदम अलग है.सीरीज से अलग मिर्जापुर की पहचान यूपी के पूर्वांचल में स्थ‍ित एक अच्छी इमेज वाले बड़े शहर के तौर पर है.उत्तर प्रदेश के माइनिंग हब के आसपास के शहरों जौनपुर-वाराणसी के साथ मिर्जापुर का भी नाम लिया जाता है. इस शहर में टूरिस्टों की भी एक ठीकठाक संख्या आती है.गंगा का खूबसूरत किनारा इस शहर को और भी शांत और प्रकृति के करीब होने का अहसास कराता है.मिर्जापुर सीरीज में जिस तरह मिर्जापुर की गद्दी और किंग ऑफ मिर्जापुर की अवधारणा प्रस्तुत की गई है,ऐसी कोई इमेज इस शहर में नहीं नजर आती. यहां का विंध्याचल धाम भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में से एक है. बात त्योहारों की हो तो नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं.मिर्जापुर जिले में स्थ‍ित सीताकुण्ड,लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब,टांडा जलप्रपात, विल्डमफाल झरना,तारकेश्‍वर महादेव,महा त्रिकोण,शिव पुर, चुनार किला, गुरूद्वारा गुरू दा बाघ और रामेश्‍वर, देवरहा बाबा आश्रम भी खूब मशहूर हैं. यहां की पुलिस व्यवस्था को लेकर जैसी छवि सीरीज में नजर आ रही है, उस तरह बाहुबलियों का दबदबा इस जिले में चर्चा में भी नहीं आता.शायद इसीलिए यहां की सांसद अनुप्र‍िया पटेल ने मिर्जापुर सीरीज को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई थी. जिस तरह से मिर्जापुर को क्राइम सीरियल में पोट्रेट किया गया है, लोगों का कहना है इससे आम लोगों में डर बढ़ता है.यही नहीं यहां के पर्यटन तक पर इसका गलत असर पड़ता है. लोगों का कहना है कि इस सीरीज के निर्माता, निर्देशकों को माफी मांगनी चाहिए. मिर्जापुर की ये क्षणिक बुराई सीरीज को फायदा तो दे देगी लेकिन इसका एक बड़ा नुकसान एक शहर के रूप में मिर्जापुर और वहां के लोगों को भुगतना होगा.मिर्जापुर की पहचान लाल स्टोन के लिए भी खूब होती है. पुराने समय में इस स्टोन का मौर्य वंश के राजा सम्राट् अशोक के द्वारा बौद्ध स्तुप को एवं अशोक स्तम्भ (वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह ) को बनाने में किया गया था. अगर भाषा की बात करें तो सीरीज से एकदम अलग टोन में मिर्जापुर के लोगों की भाषा सामान्य हिन्दी और भोजपुरी है जबकि गांवों में दक्षिणी अवधी बोली जाती है,17वीं शताब्दी के दौर से इस शहर के निर्माण की कहानी जुड़ी है. उस दौरान जब अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भारत को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ रहे थे.उसी दौर में कंपनी के अफसरों को मध्य भारत में भी अपना व्यापार फैलाने की जरूरत महसूस हुई. इसी संदर्भ में अफसरों ने गंगा के रास्ते में पड़ने वाले लगभग सभी नगरीय क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया. तमाम क्षेत्रों में विंध्याचल एवं गंगा की बांहों में पसरा विंध्यक्षेत्र अंग्रेजी अफसरों को भा गया. 1735 ईसवी में लार्ड मर्क्यूरियस वेलेस्ले नाम के एक अंग्रेज अफसर ने इस क्षेत्र की स्थापना मिर्जापुर नाम से की,अगर क्राइम की बात करें तो इस क्षेत्र में क्राइम का ग्राफ दूसरे शहरों से अलग नहीं है. सीरीज के आने के बाद से स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर काफी गुस्सा नजर आ रहा है. लोगों का कहना है कि किसी जिले के नाम से क्राइम सीरीज का नाम रखने से ये जिले ही नहीं पूरे प्रदेश की खुलेआम बदनामी करता है

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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