अश्रुपूरित नेत्रों सें परिजनों ने दिया शहीद को शलामी ,पंचतत्व में हुऐ विलीन-रिपोर्ट.जावेद अख्तर

 

कुशीनगर जनपद के कसया तहसील अन्तर्गत ग्राम सभा बदुराव के मां भारती के सच्चे सपुत

 वीर सैनिक रामेश्वर गुप्ता चीन सीमा के समीप तिनसुकिया शरहद के करौंती बार्डर पर डिप्टी के दौरान हृदयाघात को जाने से शहीद हो गये थे। जिनका अंतिम संस्कार उनके पैत्रृक गाँव बदुराव में पुरे राजकीय सम्मान के साथ कर दिया गया इस दौरान क्षेत्रीय सांसद रमापति राम त्रिपाठी,दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री राजेश्वर सिंह, फाजिलनगर बिधायक गंगा सिंह कुशवाहा,रामबृक्ष गिरि, लखीचंद यादव,नन्दलाल विद्रोही, जिलापंचायत अध्यक्ष विनय गोंड, कसया उपजिलाधिकारी पूर्ण बोहरा , तमकुही सीओ फूलचंद कनौजिया, पटहेरवा थानाध्यक्ष अतुल्य कुमार पांण्डे , काग्रेंस पार्टी के जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह , व क्षेत्र के हजारों हजारों लोग अपने वीर सैनिक की नम आँखो से बिदाई दिऐ लेकिन जिलाधिकारी, पुलिस अधिक्षक का शहीद के घर न पहुंचने से आम लोगों में गहरा आक्रोश देखने को मिला।

शहीद के परिजनों के बार बार मांग के बाउजूद भी नहीं पहुंचे मुख्यमंत्री ।

शहीद के पार्थिव शरीर उनके पैत्रिक आवास पर देर रात पहुंचने के बाद जिले का कोई आलाधिकारि नहीं पहुंचे सके जिसपर परिजनों ने नराजगी जताते हुऐ मौके पर बुलाने जिद पर अड़े रहें । कुछ समय बित जाने के बाद क्षेत्रीय सांसद डॉक्टर रमापति राम त्रिपाठी मौके पर पहुंच कर शहीद के परिजनों के साथ वार्ता कर सभी मांग को मानते हुऐ लिखित तौर पर संतुष्ट किये । परिजनों द्वारा मांगे गए दोनो पुत्रों की सरकारी नौकरी , बेटियों के शिक्षा , प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री राहत
कोष से एक करोड़ रूपये, ग्राम सभा के मुख्य मार्ग पर शहीद गेट बनवाने,
शहीद के नाम पर ग्राम सभा की सडक का नाम रखने व शहीद के प्रतिमा लगाने आदि तमाम मांगो को मानते हुऐ क्षेत्रीय सासंद लिखीत दी।तो वहीँ जब शहीद के ताबूत को मौजूद साथियों ने पत्नी बच्चों के अन्तिम दर्शन के लिए खोला मानो शहीद की एक झलक पाने के साथ ही गगन भेदी नारो के साथ परिजन दहाड़े खाकर शहीद के शव पर गिर पड़े ,भारत माता की जय , जबतक सूरज चांद रहेगा रामेश्वर तेरा नाम रहेगा नारो के साथ संस्कार कर दिया गया। शहीद रामेश्वर मद्धेशिया की धर्मपत्नी मीना देवी व दोनों बेटियां पिंकी और रिंकी दहाडे मार रही थी, तो बेटी पिंकी के हाथ पीले करने की अरमान शहीद की शहादत के साथ दफन हो गया। बेटियों के आंसू आज अनवरत बहे जा रहे थे। उस आंसू को शायद हम ही नहीं पूरा इलाका ही बहा रहा था। सभी गमगीन हैं पर वतन के लिए ज़िन्दगी दांव पर लगाने के लिए बदुरांव का बच्चा-बच्चा गर्व का अनुभव कर रहा था।आज बदुरा़व के बहादुर लाल पर पूरे गांव को गर्व है। मुझे गर्व है बहादुर बदुरांव के लाल पर,अमिट इतिहास लिख दिया काल के कपाल पर,हम चुप नहीं बैठेंगे बेटी पिंकी और रिंकी के सवाल पर। मुझे गर्व शहीद रामेश्वर की धर्मपत्नी मीना के स्वाभिमन पर

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