बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा गतिविधि का आयोजन,मनाया गया वजन दिवस

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा गतिविधि का आयोजन,मनाया गया वजन दिवस

एटा,06 अक्टूबर2020।

कोरोना के कारण सरकार द्वारा सभी स्कूल, कॉलेज, आंगनवाड़ी केंद्र आदि को बंद रखने का निर्णय लिया गया था। साथ ही बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा की जाने वाली सामुदायिक गतिविधियों को भी ग्रहण सा लग गया था। जिस पर से अब बादल छटना प्रारंभ हो चुके हैं। जिले में अब हर मंगलवार को सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन प्रारंभ हो चुका है। हर मंगलवार के दिन सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। जिले में मंगलवार को बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा वजन दिवस मनाया गया।

जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया किअपर मुख्य सचिव एस. राधा चौहान द्वाराआंगनवाड़ी केंद्रों के स्तर पर आयोजित सामुदायिक गतिविधियों के संचालन के संबंध में पत्र भेजा गया है व जिले में हर मंगलवार को सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन प्रारंभ कर दिया गया है।इसी क्रम में जिले में मंगलवार को वजन दिवस मनाया गया ।उन्होंने बताया कि वजन दिवस पर5 वर्ष तक के सभी बच्चों को केंद्र पर बुलाकर उनका वजन और लंबाई की माप ली जाती है व वजन को मातृ एवं बाल रक्षा कार्ड(एमसीपी कार्ड) पर दर्ज किया जाता है। उन्होंने बताया अक्टूबर माह के प्रथम मंगलवार को वजन दिवस, द्वितीय मंगलवार को गोद भराई दिवस, तृतीय मंगलवार को किशोरी दिवस एवं चतुर्थ मंगलवार अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया जाएगा।उन्होंने बताया आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा वजन करने के बाद अभिभावकों को पोषण आहार के विषय में जानकारी दी जा रही है। साथ ही आंगनवाड़ी कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए अभिभावकों को कोरोनासे बचाव के विषय में जानकारी देकर उन्हें जागरूक कर रही हैं।

उम्र के अनुसार सही वजन जरूरी-

एसीएमओ, आरसीएच डॉ बी. डी. भिरोरिया ने बताया उम्र के हिसाब से बच्चे का वजन कम या ज्यादा है तो उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है।सही वजन बच्चों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ कई बीमारियों से भी दूर रखता है।इसलिए उम्र के मुताबिक सही वजन की जानकारी होना बेहद आवश्यक है।जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 2 किलोग्राम से कम रहता है उन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसकी वजह से संक्रमण तेजी से फैलता है एवं कई प्रकार के रोगों से बच्चों को खतरा बन जाता है।सामान्य स्थिति जन्म के समय ढाई किलोग्राम से लेकर साढ़े तीनकिलोग्राम तक के वजन वाले बच्चों को स्वस्थ माना जाता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक औसत स्वस्थ बच्चे का वजन उसकी 3 से 7 वर्ष तक की आयु पर प्रति वर्ष 2 किलोग्राम की दर के अनुसार बढ़ता है और उसके बाद पूर्ण वयस्क होने तक प्रतिवर्ष 3 किलोग्राम की दर के अनुसार बढ़ता है। इसी प्रकार बच्चों में उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ने से बौनापन आता है। बौनापन कुपोषण की पहचान है। इससे शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास होता है और बच्चा बार-बार संक्रमण का शिकार होता है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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