इंसानियत से भरा हुआ, जिसमे दया, इंसानियत, न्याय, अपनापन, सद्भाव हो

जो लायक जन को जोड़कर चलता है…

वह एक दिन जननायक बनता है…

जनता के दुख दर्द सुख खुशी में

अगर सरकारी तंत्र नाम मात्र की हिस्सेदारी दिखा दे

तो वह एक बड़े रिफॉर्म का हिस्सा हो सकते हैं।

आजकल कई पुलिसकर्मियों के ऐसे चित्र आते हैं जिसमें आम जनता की मदद करते दिखाई देते हैं तो

निश्चित तौर पर खाकी का जो अपमान करने, गालियां देने, जुल्म करने का चरित्र अंग्रेजों के सामने बना था।

वह खंडित होकर एक ऐसा रूप, चरित्र बन कर सामने आता है।

जो इंसानियत से भरा हुआ, जिसमे दया, इंसानियत, न्याय, अपनापन, सद्भाव हो

ऐसी ही भावनाए मुजफ्फरनगर में पोस्टिड रहे और फिलहाल इटावा के एक थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर जितेंद्र शर्मा की यह तस्वीर भी जता रही है।

जितेंद्र जी ने गश्त के समय एक गांव के पास बुजुर्ग को अकेले चारपाई बुनते देखा तो उन्हें अपने बाबा जी की याद आ गई जो अक्सर उन्हें खाट बुनने में अपने साथ रखते थे और खाट बुनने की विधि बाबाजी से जितेंद्र जी ने सीखी थी वह उस बुजुर्ग को खाट बुनते देख स्वयं को रोक नहीं पाए।

और वहीँ रूककर उनके साथ थोड़ी देर रुक कर बात की फिर खाट बनवाई, यह कार्य भले बहुत लोगो को अजीब सा लगे

परंतु उस बुजुर्ग शख्स और वहां मौजूद अन्य लोगों के दिमाग में वह खाकी की एक यादगार, दमदार, शानदार छवि प्रस्तुत करके आए।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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