
एटा। शिक्षा का पावन मंदिर और ऐतिहासिक धरोहर कही जाने वाली राजकीय इंटर कॉलेज (जी.आई.सी.), एटा की इमारत इन दिनों जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुकी है। 111 वर्ष पुराने इस भव्य भवन के विशाल हाल के जीर्णोद्धार और संरक्षण की मांग को लेकर पूर्व छात्रों और समाज के विभिन्न वर्गों से सहयोग की अपील की गई है।राजकीय इंटर कॉलेज न केवल प्रदेश का सबसे पुराना इंटर कॉलेज है, बल्कि शिक्षा, साहित्य, कला, विज्ञान, राजनीति, खेल और प्रशासन सहित अनेकों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रतिभाएं देने वाला संस्थान भी रहा है। यहां से शिक्षा प्राप्त छात्र देश की सर्वोच्च सेवाओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। इनमें केंद्रीय वित्त सचिव, एडीजीपी, आईजी, ब्रिगेडियर, वैज्ञानिक, न्यायाधीश, साहित्यकार, कवि, खिलाड़ी और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं। यही नहीं, प्रख्यात गीतकार पद्मविभूषण गोपाल दास नीरज, अमर शहीद महावीर सिंह राठौर तथा मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सहयोगी पद तक इस कॉलेज के पूर्व छात्र सुशोभित कर चुके हैं।
❖ पूर्व में भी हुए प्रयास
साल 2016 में भी इस भवन के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था, किंतु चुनावी आचार संहिता के चलते योजना पूरी नहीं हो पाई। हाल ही में आयोजित प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ियों के सम्मान समारोह और दशम पुस्तक महोत्सव में पूर्व छात्रों व शिक्षकों ने एक स्वर में इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण की मांग उठाई। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर अजय चौधरी की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित मिलन समारोह में तय हुआ कि कॉलेज के पूर्व छात्र, शिक्षक और समाज के विभिन्न वर्ग मिलकर क्रमबद्ध योजना के तहत इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे।
❖ सहयोग की अपील
पूर्व छात्रों का कहना है कि सबसे पहले कॉलेज के विशाल हाल का जीर्णोद्धार किया जाए। इसके लिए समाज के सभी वर्गों से आर्थिक सहयोग मांगा जाएगा। योगदान देने वालों के नाम भावी पीढ़ियों के लिए शिलापटों पर अंकित किए जाएंगे। पूर्व में भी कई पूर्व छात्रों और जनप्रतिनिधियों ने इस कालेज के विकास में योगदान दिया है। पूर्व छात्र व विधायक प्रजापालन वर्मा ने कॉलेज का मुख्य द्वार बनवाया, जबकि एडीजीपी अजय चौधरी ने बैठने हेतु एक लाख रुपये का सहयोग दिया था। नगर पालिका परिषद एटा के चेयरमैन रहे राकेश गांधी ने कॉलेज की टूटी दीवार का निर्माण कराया था।
❖ पारदर्शिता का आश्वासन
जानकारी के अनुसार, कॉलेज की शताब्दी समारोह (2014) में शेष बची 36 हजार रुपये की राशि आज भी बैंक में जमा है, जिसका उपयोग पूर्ण पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ भवन के जीर्णोद्धार में किया जाएगा।
❖ विरासत बचाना हम सबकी जिम्मेदारी
पूर्व छात्रों का कहना है कि यह भवन केवल ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि शिक्षा और संस्कृति की धरोहर है। इसे बचाना और आने वाली पीढ़ियों तक संजोकर रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।