नये जिले का नाम बाह भदावर हो तो हम अपने आपसे जुड़ेंगे

नये जिले का नाम बाह भदावर हो तो हम अपने आपसे जुड़ेंगे
शंकर देव तिवारी
बाह।बाह को जिला बनाने के लिए नामों के क्रम में एक प्रस्ताव बाह भदावर जिला नाम करने का आया है। जिसके पीछे एक कारण है इस भदोर राज्य का जो नाम भदावर पड़ा जिसकी तीन राजधानियाँ इसी तहसील में रहीं।
इससे पूर्व यदि देखा जाए तो भदावर राज्य के क्षेत्र से भिंड, मुरेना, धोलपुर जिले बने मगर यहाँ भदावर नाम लोप रहा। मगर भदावर स्टेट लोप होने से पहले हतकांत, पिनाहट, बटेश्वर बाह और नोगवां अलग अलग कालों में राजधानी रहीं। आजादी के बाद जब उत्तर प्रदेश के विकास को दिशा देने के क्रम में क्षेत्रों की समस्याओं को देख जिला बना के आत्म निर्भर बनाने का दौर था तब, 1952 में मुख्य मंत्री पंत ने बाह को बीहड़ और दश्यू समस्याओं को देख जिला बनाने का प्रस्ताव घोषित किया था। मगर बदलते राजनेतिक परिवेश में बाह जिला बनने से वंचित होता रहा है।
एक समय था जब बाह दलहंन के नाम पर आत्म निर्भर रहा वहीं कचोराघाट और मई जैसे व्योपार् केंद्र भी देश में ही नहीं विश्व पटल पर जाने जाते थे बाद में जरार जैसे केंद्र को दाल की बड़ी मंडी करके जाना गया। इसी क्रम में भदावर स्टेट ने भी हतकांत के बाद पिनाहट बटेश्वर बाह के बाद नोगवाँ जैसे स्थानों को चुनके राजधानी बनाया।
आज जब बाह को फिर से विकास के केंद्र बनाने पर विचार रखा जा रहा है साथ ही रोज नये नये नामों को देकर चर्चा हो रही है तब भौगोलिक और एतिहाशिक जानकार कहने लगे हैं कि बटेश्वर बाह को जोड़ कर नाम रखने से बटेश्वर का महत्व कम होता है जिसे अगले समय में स्वतंत्र आयाम मिलना है क्यों लोप किया जाए। ऐसे समय हमें हमारी वस्विकता से जो स्थिति जोड़ सकती है तो वह स्थिति होगी बाह भदावर नाम से।
यहाँ यह बताते चले कि परिवहन क्षेत्र में डिपो का नाम पहले से ही बाह भदावर नाम से जाना जाता है।

जिला बनाने का दावा क्यों
बाह, उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित एक तहसील है, जो चंबल नदी के बीहड़ों में बसी है। यह तहसील अपनी भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। बाह को जिला बनाने की मांग काफी समय से उठ रही है, खासकर 1952 से.

पौराणिक संबंध:
बाह का संबंध जैन संप्रदाय और भगवान कृष्ण से भी बताया जाता है.
ऐतिहासिक महत्व:
बाह का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है, हालांकि पुरातात्विक खोजें अभी तक नहीं हुई हैं, लेकिन ऐतिहासिक मानचित्रों से इसके बारे में जानकारी मिलती है.
भौगोलिक स्थिति:
बाह, उटंगन यमुना व चंबल नदी के बीहड़ों में स्थित है, जिसके कारण यह क्षेत्र विकास से अछूता रहा है.
जिला बनाने की मांग:
बाह को जिला बनाने की मांग 1952 से उठ रही है, खासकर 1952 में तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने भी बाह की भौगोलिक और डाकूओं से प्रभावित स्थिति के आधार पर इसे जिला बनाने की बात कही थी।
विकास की चुनौतियां:
बाह में अभी भी कई गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है, साथ ही उद्योगों की कमी के कारण रोजगार के अवसर भी सीमित हैं.
बाह को जिला बनाने की मांग के कारण:
दूरी:
बाह, आगरा जिले के मुख्यालय से 70-75 किलोमीटर दूर है, जिससे लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए आगरा जाने में कठिनाई होती है.
विकास की कमी:
भौगोलिक स्थिति और अन्य कारणों से बाह में विकास की गति धीमी रही है, जिससे लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
सुरक्षा:
चंबल के बीहड़ों के कारण बाह में कानून व्यवस्था की स्थिति भी एक चुनौती रही है, जैसा कि एक यूट्यूब वीडियो में बताया गया है.
वर्तमान स्थिति:
बाह को जिला बनाने की मांग अभी भी जारी है, और हाल ही में प्रशासन ने इस संबंध में प्रस्ताव भी मांगा है,।
प्रशासनिक स्तर पर बाह को जिला बनाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
संक्षेप में, बाह एक ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण तहसील है, जिसे जिला बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। विकास की कमी और दूरी जैसी समस्याओं के कारण, बाह के लोग इसे जिला बनाने की उम्मीद कर रहे हैं.
बाह उपखंड अवलोकन
उप-जिला : बाह
उप-जिला कोड : 770
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश : उत्तर प्रदेश
जिला : आगरा
कुल क्षेत्रफल : 884.78 वर्ग किमी
कुल जनसंख्या (2011) : 430523
घनत्व : 487 /किमी² (प्रति वर्ग किमी व्यक्ति)
कुल गाँव (2011): 207
बाह, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा ज़िले में स्थित एक उप-विभाग है। 2011 की जनगणना के अनुसार, 884.78 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले बाह ज़िले की जनसंख्या 430523 है। इस उप-ज़िले का जनसंख्या घनत्व 487/वर्ग किमी (प्रति वर्ग किमी व्यक्ति) है, जो इसे ज़िले के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक बनाता है।

नाम बाह भदावर क्यों

भदावर: भदावर बाह जिला के सन्दर्भ का काल क्रम

भदावर हथकांत , बाह, पिनहट (आगरा) : प्रशासनिक और ऐतिहासिक बदलाव का क्रम

816-842 बाह क्षेत्र में ‘भदौरा’ नामक नगर की स्थापना
1153 के आसपास हुआ हथकांत किले का निर्माण
1208 गुलाम वंश मुस्लिम आक्रमण – बाह, पिनहट, हथकांत की सत्ता कमजोर हुई।
1153 हथकांत दुर्ग निर्माण (राजपूत) बाह-भदावर क्षेत्र का विस्तार
1208 भदौरागढ़ युद्ध व भदावर पर मुस्लिम आक्रमण – राजपूत सत्ता कमजोर
1526 पानीपत का युद्ध (मुगल विजय) -आगरा, बाह, पिनहट, हथकांत मुगल अधीन
1558 अकबर के अभियानों में भदावर क्षेत्र का विलय – राजपूतों को मानसबदारी, जागीरें
1737 भदावर-माराठा युद्ध व संधि युद्धविराम संधि, क्षतिपूर्ति
1767 भरतपुर जाटों के साथ भदावर संघर्ष 1770 बाह का कब्जा वापसी
1803 द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध बाह, पिनहट, हाटकंट अंग्रेज प्रशासित
1857–1860 स्वतंत्रता संग्राम, राजसी/अधिकारिक पुरस्कृत अस्थाई प्रशासनिक बदलाव, अधिसूचनाएँ
1902 यूनाइटेड प्रॉविन्स की स्थापना, तहसील व्यवस्था बाह तहसील, पुलिस थाना, राजस्व कार्यालय की स्थापना
1947 आज़ादी, भदावर रियासत विलुप्त बाह, पिनहट, हथकांत जनपदीय संरचना
1957–2025 पंचायत, सहकारी बैंक, जनप्रतिनिधि संकल्प, स्वास्थ्य व परिवहन सुधारस्थानीय प्रशासन, वंशजों का प्रभाव ।
प्रस्तुति जगदेव सिंह, शंकर देव

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks