सरसावा खबर..

वीरता का उत्सव: क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस हर वर्ष 26 जुलाई को उन अमर जवानों की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए 60 दिनों तक कठिन युद्ध लड़ा और भारत की अखंडता की रक्षा की। इस ऐतिहासिक संघर्ष में भारतीय सेना ने दुर्गम पहाड़ियों पर कब्जा जमाए दुश्मनों को मात दी थी, जिसमें टाइगर हिल, तोलोलिंग, और सियाचिन जैसे क्षेत्रों में निर्णायक जीत हासिल की गई। इस युद्ध में 500 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की आहुति दी, जिनके साहस, शौर्य और बलिदान को याद करने और सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
➤ शहीदों को समर्पित सरसावा की संगोष्ठी
सरसावा नगर में शनिवार को मदर टेरेसा पब्लिक स्कूल में आयोजित जिला स्तरीय संगोष्ठी में कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, राजनीतिक पदाधिकारी, समाजसेवी और युवाओं ने भाग लिया। संगोष्ठी का उद्देश्य न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देना था, बल्कि नई पीढ़ी को उनके त्याग और पराक्रम से प्रेरित करना भी था। विद्यालय परिसर में आयोजित इस आयोजन के दौरान राष्ट्रगान, मौन श्रद्धांजलि और देशभक्ति गीतों ने वातावरण को पूरी तरह भावविभोर कर दिया।
➤ जिला अध्यक्ष ने युवाओं को दी प्रेरणा…
मुख्य वक्ता के रूप में भाजपा जिला अध्यक्ष महेन्द्र सैनी ने कहा कि कारगिल युद्ध ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत का सैनिक विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटता। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस राष्ट्रभक्ति, साहस और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे शहीदों की गाथा को अपने जीवन में उतारें और राष्ट्र सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
➤ “कारगिल केवल युद्ध नहीं, राष्ट्र के आत्मबल की विजय है: विधायक मुकेश चौधरी
विधायक मुकेश चौधरी ने कहा कि कारगिल विजय दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों के शौर्य और बलिदान की अमर गाथा है। 1999 में दुर्गम चोटियों पर चले इस युद्ध में हमारे जवानों ने 60 दिन तक भीषण संघर्ष कर टाइगर हिल जैसी रणनीतिक चोटियों पर तिरंगा फहराया और भारत की अखंडता को अक्षुण्ण रखा। यह दिन हमें याद दिलाता है कि देश की रक्षा के लिए हमारे वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। कारगिल युद्ध हर भारतीय को यह सिखाता है कि मातृभूमि के लिए समर्पण सर्वोच्च धर्म है। आज जरूरत इस बात की है कि हम शहीदों की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें, तभी उनका बलिदान वास्तव में पूजनीय बन पाएगा।
➤ पूर्व विधायक नरेश सैनी ने किया सैनिकों के बलिदान को नमन….
पूर्व विधायक नरेश सैनी ने अपने भावुक संबोधन में कहा कि जब देश पर संकट आता है, तो हमारे सैनिक पर्वतों की ऊंचाई से भी ऊंचा हौसला दिखाते हैं। कारगिल में भारत के रणबांकुरों ने दुश्मनों को धूल चटा दी। यह दिवस हर भारतीय को याद दिलाता है कि आज़ादी और अखंडता की कीमत क्या होती है।
➤ वरिष्ठ भाजपा नेता राज सिंह माजरा का वक्तव्य…
वरिष्ठ भाजपा नेता राज सिंह माजरा ने कहा कि शहीदों की विरासत केवल सेना की नहीं, पूरे समाज की धरोहर है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बच्चों को भी वीरता, संयम और राष्ट्रप्रेम की सही प्रेरणा मिले। उन्होंने कहा कि जब तक भारत है, शहीदों की गाथा जीवित रहेगी।
➤ डीसीडीएफ वाइस चेयरमैन विपिन चौधरी की आवाज़….
डीसीडीएफ विपिन चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि कारगिल में सैनिकों ने जिस वीरता का परिचय दिया, वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने कहा कि शहीदों का सम्मान केवल श्रद्धा से नहीं, बल्कि उनके मूल्यों को अपनाकर ही सच्चा होता है।
➤ नगर मंडल अध्यक्ष सागर चौधरी का वक्तव्य…
भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष सागर चौधरी ने कहा कि कारगिल विजय दिवस केवल इतिहास नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि शहीदों की स्मृति में किया गया हर आयोजन युवाओं को राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से जोड़ता है।
➤ सम्मान और श्रद्धांजलि के स्वर…
कार्यक्रम के अंत में दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। “तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें…” और “वंदे मातरम्” के गगनभेदी नारों ने पूरे परिसर को देशभक्ति से भर दिया। राष्ट्रध्वज के नीचे खड़े होकर उपस्थित लोगों ने वीर शहीदों के चरणों में नमन किया।
➤ अन्य गणमान्य उपस्थित
इस अवसर पर जिला महामंत्री डॉ. पवन सेंवई, पूर्व विधायक महिपाल माजरा, वरिष्ठ भाजपा नेता पवन सिंह राठौर सहित अनेक पदाधिकारी, कार्यकर्ता, शिक्षक, छात्र और क्षेत्रीय नागरिक उपस्थित रहे। संगोष्ठी ने यह संदेश दिया कि शहीदों का बलिदान भुलाया नहीं जाएगा और हर पीढ़ी उनके आदर्शों से प्रेरणा लेती रहेगी।