“कांवड़ यात्रा 2025: जब प्रशासन ने जीता जनता का विश्वास”– सेवा, समर्पण और सजगता की यात्रा

विशेष: कावड़ यात्रा 2025 सम्पन्न

🔹 सहज, शांत और सफल — कांवड़ यात्रा की अद्भुत तस्वीर

श्रावण मास की कांवड़ यात्रा 2025 इस बार सरसावा समेत समूचे जिले में व्यवस्था, अनुशासन और प्रशासनिक सजगता का एक बेहतरीन उदाहरण बनकर सामने आई। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति, सावन की रिमझिम बारिश, और यातायात के दबाव के बावजूद इस यात्रा में न तो कोई अव्यवस्था हुई, न कोई भयावह खबर। इस बार जनता ने केवल हर-हर महादेव का जयकारा ही नहीं लगाया बल्कि प्रशासन को भी खुले दिल से “धन्यवाद” कहा।

🔹 जिले के शीर्ष अधिकारियों की सक्रियता बनी व्यवस्था की रीढ़

इस सफलता का सबसे पहला श्रेय जिले के प्रशासनिक नेतृत्व को जाता है। जिलाधिकारी मनीष बंसल ने न केवल समय रहते योजनाओं को अमल में लाया, बल्कि हर छोटे-बड़े पहलू की मॉनिटरिंग भी खुद की। उन्होंने यात्रा से पूर्व मार्गों का निरीक्षण किया, विभागीय बैठकों में निर्देश दिए और स्वयं यात्रा के दौरान भी फील्ड में नजर आए। हर विभाग के साथ समन्वय और सतत निगरानी उनकी कार्यशैली की पहचान बनी।

वहीं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने सुरक्षा प्रबंधन को अपने स्तर से विशेष प्राथमिकता दी। संवेदनशील मार्गों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती, रूट डायवर्जन, CCTV, ड्रोन निगरानी और खुफिया सतर्कता जैसी व्यवस्थाओं ने इस यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाए रखा। उनकी रणनीति में न केवल बल का इस्तेमाल था, बल्कि सूझबूझ, धैर्य और तकनीकी सजगता भी शामिल रही।

🔹 एसडीएम नकुड़ सुरेंद्र कुमार की व्यवस्थागत पैठ

एसडीएम नकुड़ सुरेंद्र कुमार की भूमिका कांवड़ यात्रा के ‘बैकबोन’ की तरह रही। उन्होंने न सिर्फ क्षेत्रीय निरीक्षण किए बल्कि यात्रा के दौरान जिन-जिन विभागों की कड़ियाँ आपस में जुड़नी थीं, उन्हें जोड़ने का असली काम किया। चाहे जल निकासी की समस्या हो या शिविर स्थल की स्वीकृति, उन्होंने हर पहलू पर गहराई से ध्यान दिया। उनकी मौजूदगी ने पूरे सरसावा खंड में प्रशासनिक भरोसे का अहसास कराया।

🔹 सरसावा में प्रशासन, पालिका और जनता के बीच दिखा अद्भुत तालमेल

सरसावा नगर क्षेत्र इस बार व्यवस्थाओं के मामले में कई बड़े नगरों को पीछे छोड़ता नजर आया। नगर पालिका अधिशासी अधिकारी राजीव कुमार और उनकी टीम ने सफाई, नाली-जलनिकासी, मार्ग मरम्मत और शिफ्टवार कर्मचारियों की तैनाती से यह सुनिश्चित किया कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो। मार्गों पर चूने और जल छिड़काव से लेकर सेवा शिविरों के आसपास की सफाई तक हर स्तर पर नगर पालिका का योगदान प्रशंसनीय रहा।

🔹 2 किलोमीटर की लाइटिंग — सरसावा को किया रोशन

इस बार की यात्रा में सरसावा नगर की लाइटिंग व्यवस्था विशेष चर्चा का विषय बनी। नगर के प्रमुख मार्गों पर करीब दो किलोमीटर लंबा प्रकाश-पथ तैयार किया गया, जिससे न केवल सौंदर्य बढ़ा, बल्कि रात्रिकालीन यात्रियों को सुरक्षा और सुविधा भी मिली। हाई मास्ट लाइट, स्ट्रीट लाइट और अस्थायी सौर लाइट्स ने नगर को उजास से भर दिया। कहीं कोई अंधेरा न रहे और यह लक्ष्य पूरा करने में पालिका प्रशासन सफल रहा।

🔹 चक्रव्यूह सी सुरक्षा और चक्राकार रोशनी से सजा हर मार्ग

जिला प्रशासन ने इस बार पूरे यात्रा मार्ग को न सिर्फ सुरक्षा घेरे में लिया, बल्कि प्रकाश की चक्रव्यूह व्यवस्था से सजाया भी। मार्गों को चिन्हित कर विशेष इलैक्ट्रिकल टीमें तैनात की गईं। रात में हर मोड़, हर शिविर स्थल पर उजाला था और उस उजाले में न कोई डर था, न कोई अव्यवस्था। यह रोशनी केवल भौतिक नहीं, प्रशासन की तैयारी की प्रतीक थी।

🔹 खुफिया तंत्र और ट्रैफिक पुलिस की सूझबूझ भी बनी रक्षक

खुफिया एजेंसियों की सतर्कता और ट्रैफिक पुलिस की रणनीति ने पूरे यात्रा मार्ग को निर्बाध बनाए रखा। नो-एंट्री व्यवस्था का पालन, भारी वाहनों की रोकथाम, बैरिकेडिंग और वैकल्पिक मार्ग सब कुछ पहले से तैयार था। न कहीं जाम, न अफरा-तफरी यह सब ट्रैफिक पुलिस के अनुभव और यात्रा में सेवा समर्पण का परिणाम था।

🔹 सेवा शिविरों में मिला मानवता का स्पर्श

यात्रा मार्ग पर दर्जनों समाजसेवी संस्थाओं ने भोजन, जल, दवाई, विश्राम, प्राथमिक उपचार और महिला यात्रियों के लिए अलग सुविधाओं वाले शिविर लगाए। प्रशासन ने इन शिविरों को समय से अनुमति, सुरक्षा और बिजली-पानी की सुविधा दी जिससे सेवा में कोई रुकावट न आए। यह सेवा प्रशासन और समाज का संयुक्त प्रयास बन गया।

🔹 जनता ने जताया दिल से आभार — आलोचना की तरह स्वीकारा सराहना का धर्म

यात्रा के शांतिपूर्वक सम्पन्न होने के बाद नगर के व्यापारियों, युवाओं, सामाजिक संस्थाओं और आम नागरिकों ने शासन-प्रशासन का खुले दिल से धन्यवाद किया। नगर पालिका अध्यक्ष, चेयरमैन प्रतिनिधि, अधिशासी अधिकारी, थाना प्रभारी, सीओ, मजिस्ट्रेट, डीएम, एसएसपी सभी को सराहा गया। बकायदा धन्यवाद पत्र, बैनर और सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिये जनआभार प्रकट हुआ।

🗣️ “जब दोष दे सकते हैं, तो धन्यवाद देना भी ज़िम्मेदारी है”

जनता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर कभी व्यवस्था बिगड़ती है, तो आलोचना होने में देर नहीं होती, हर कोई जिम्मेदारों को दोषी ठहरा देता है। लेकिन जब इस बार हर विभाग ने रात-दिन मेहनत कर व्यवस्था को चाक-चौबंद रखा हो, तो हमारा यह भी धर्म बनता है कि हम खुले दिल से उनका आभार भी प्रकट करें। जो अधिकारी गलती होने पर जवाबदेह होते हैं, वे सफलता पर सराहना के पात्र भी हैं। जनता ने कहा “जब दोष दे सकते हैं, तो धन्यवाद देना भी हम सबकी ज़िम्मेदारी है।”

✍️ कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रशासनिक परीक्षा होती है और इस बार सरसावा से लेकर जिले के हर अधिकारी ने इस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर दिखा दिया कि जब इरादे साफ हों, तैयारी पूरी हो, और टीम में तालमेल हो तो कोई भी यात्रा सिर्फ पूर्ण नहीं, स्मरणीय बन जाती है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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