
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने पाकिस्तान में भारी तबाही मचाई थी. ब्रह्मोस का इस्तेमाल कर भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के 11 एयर बेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था. अब भारत की इस उन्नत क्रूज मिसाइल की डिमांड पूरी दुनिया में हो रही है.
- पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों के पास मची थी तबाही, किराना हिल्स की नई तस्वीर दे रही गवाई
- भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान को जो मार मारी है, उसके निशान आज भी दिख रहे हैं
- अब एक नई सैटेलाइट तस्वीर आई है, जिसने दिखाया है कि भारत ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने किराना हिल्स पर हमला किया था
- अब, जून 2025 में गूगल अर्थ से मिली ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि भारत की मिसाइल ने पाकिस्तान के सरगोधा जिले में स्थित किराना हिल्स को निशाना बनाया था. यहीं पर पाकिस्तान का परमाणु ठिकाना है.
- इसके अलावा एक और तस्वीर सामने आई है, जिसमें सरगोधा एयरबेस के हवाई पट्टी को रिपेयर किया गया है.
- किराना हिल्स पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा माना जाता है.
- यह एक अत्यधिक सुरक्षित क्षेत्र है, जहां अंडरग्राउंड हथियार भंडारण सुविधाएं और परमाणु अनुसंधान केंद्र होने की संभावना है.
- 1980 के दशक में यहां सबक्रिटिकल परमाणु परीक्षण भी किए गए थे.
भारत ने अभी तक ये खतरनाक मिसाइल केवल फिलीपिंस को बेची है. भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के लिए अपना पहला बड़ा रक्षा निर्यात सौदा किया था. इस सौदे का मूल्य 375 मिलियन डॉलर है. फिलीपींस से हुई डील के तहत भारत ने अप्रैल 2024 में पहली और अप्रैल 2025 में दूसरी बैटरी सौंप दी थी. अभी ब्रह्मोस की एक और बैटरी फिलीपींस को दी जानी है.
■ उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी के साथ-साथ देश की पहली अत्याधुनिक निजी टाइटेनियम और सुपर एलॉय निर्माण सुविधा की भी शुरुआत हुई है.
■ लखनऊ में नई ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन फैसिलिटी प्रतिवर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलें बनाएगी. 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस यूनिट में ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जाएगी, जो 290-400 किमी की रेंज और 2.8 मैक की गति से सटीक हमला कर सकती है.
■ यह मिसाइल भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है. इसे जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है और यह “फायर एंड फॉरगेट” सिस्टम पर काम करती है.
■ यूनिट हर वर्ष 100 से 150 अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलें भी बनाएगी. अगली पीढ़ी की मिसाइल का वजन 2,900 किग्रा से घटाकर 1,290 किग्रा किया गया है और इसकी रेंज 300 किमी से अधिक होगी. इससे सुखोई जैसे लड़ाकू विमान, जो अभी एक मिसाइल ले जाते हैं, तीन मिसाइलें ले जा सकेंगे.
■ इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला उन देशों में शामिल हैं जो ब्रह्मोस मिसाइलें भारत से खरीदना चाहते हैं.
इंडोनेशिया वर्तमान में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के उन्नत संस्करण को हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है जिसका सौदा 200 मिलियन डॉलर से 350 मिलियन डॉलर के बीच हो सकता है. वियतनाम अपनी थलसेना और नौसेना के लिए 70 करोड़ डॉलर के सौदे की तैयारी कर रहा है.