पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर जोर

भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय मीडिया फाउंडेशन का बिगुल: पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर जोर ।

नई दिल्ली : भारतीय मीडिया फाउंडेशन (BMF) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ने का आह्वान किया है।
BMF के संस्थापक एके बिंदुसार ने सभी पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद करने का निर्देश जारी किया है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भ्रष्टाचार से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा और इसके खिलाफ हर स्तर पर आवाज उठाई जानी चाहिए।
बिंदुसार ने इस बात पर जोर दिया कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले मीडियाकर्मियों या सामाजिक कार्यकर्ताओं को किसी भी प्रकार की धमकी मिलती है या उन्हें डराने की कोशिश की जाती है, तो उसका कड़ा और निर्णायक जवाब दिया जाएगा. उन्होंने मीडियाकर्मियों से अपील की है कि वे निडरतापूर्वक अपने पत्रकारिता धर्म का पालन करें।

पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुरक्षा: एक गंभीर चुनौती
पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा भारत में एक महत्वपूर्ण और लगातार बढ़ती चिंता का विषय है। हालाँकि, एक विशिष्ट “पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुरक्षा अधिनियम” की जानकारी उपलब्ध नहीं है, फिर भी इन वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कानून और नियम मौजूद हैं, जिनके बावजूद चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़े अहम पहलू:
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक: भारत की रैंकिंग 180 देशों में 159वीं है, जो देश में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता पैदा करती है।
यह दर्शाता है कि पत्रकारों को अक्सर अपने काम के दौरान खतरों का सामना करना पड़ता है।
अनुच्छेद 19(1)(a): भारतीय संविधान का यह महत्वपूर्ण अनुच्छेद वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, जो पत्रकारिता का आधार है. हालाँकि, इस संवैधानिक अधिकार के बावजूद, पत्रकारों को अक्सर अपने कर्तव्यों का पालन करते समय हमलों और धमकियों का सामना करना पड़ता है।
भारतीय प्रेस परिषद: यह एक स्वायत्त संस्था है जो पत्रकारों के लिए नैतिक दिशा-निर्देश तय करती है और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए काम करती है। यह परिषद पत्रकारों की शिकायतों पर भी ध्यान देती है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय: यह मंत्रालय देश में पत्रकारों और मीडिया के लिए नीतियां और नियम बनाता है, जिनका उद्देश्य एक सुचारु और सुरक्षित मीडिया वातावरण सुनिश्चित करना है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा से जुड़े अहम पहलू:
व्हिसलब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम, 2014: यह अधिनियम भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा करने वाले व्हिसलब्लोअर्स को सुरक्षा प्रदान करता है. सामाजिक कार्यकर्ता अक्सर भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं, जिससे वे जोखिम में पड़ सकते हैं. यह अधिनियम ऐसे व्यक्तियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।
मानवाधिकार आयोग: राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित सभी नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं. यदि किसी सामाजिक कार्यकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वे आयोग से शिकायत कर सकते हैं।
आगे की राह: सरकार और समाज की साझा जिम्मेदारी
इन कानूनों और नियमों के बावजूद, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा एक बड़ा और अनसुलझा मुद्दा बना हुआ है. उन्हें अक्सर अपने काम के लिए धमकियों, शारीरिक हमलों और कानूनी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन का यह आह्वान ऐसे समय में आया है जब इन वर्गों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की नितांत आवश्यकता है।
इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण बनाना आवश्यक है, ताकि वे बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें और एक स्वस्थ लोकतंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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