अयोध्या में तिलोदकी नदी का हो रहा पुनरुद्धार

अयोध्या। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में एक और ऐतिहासिक पहल की शुरुआत हो रही है। तिलोदकी नदी, जो कभी इस पवित्र भूमि की शान हुआ करती थी, अब अपने पुराने वैभव को पुनः प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान हर जिले में एक नदी के पुनरुद्धार की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी। इसी कड़ी में अयोध्या प्रशासन ने तिलोदकी नदी के पुनरुद्धार का कार्य शुरू कर दिया है। इस परियोजना के तहत नदी की साफ-सफाई और संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर कार्य शुरू हो चुका है।
तिलोदकी नदी अयोध्या की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा रही है, लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रही। कचरे, प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण इस नदी की स्थिति दयनीय हो गई थी, लेकिन अब राज्य सरकार की इस पहल से नदी को उसके मूल स्वरूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है। तिलोदकी तट के श्रीरमणक ऋषि आश्रम पर प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है। साफ-सफाई के लिए लगभग 150 से अधिक सफाई कर्मी उतारे गए हैं। जो नदी की साफ-सफाई और आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ करने में जुटी है। इसके अलावा नदी के उद्गम स्थल की स्थिति का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भी नियुक्त की गई है।
इस परियोजना के तहत नदी के किनारों पर पौधरोपण, कचरा प्रबंधन और जल प्रवाह को सुचारू करने जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्थानीय निवासियों ने इस पहल का स्वागत किया है।
भावी पीढियों के लिए स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित होगा
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की परियोजनाएं न केवल नदियों को बचाने में मदद करेंगी, बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन में भी योगदान देंगी।
प्रशासन ने इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए स्थानीय समुदाय, स्वयंसेवी संगठनों और सरकारी विभागों के बीच समन्वय स्थापित किया गया है। तिलोदकी नदी का पुनरुद्धार न केवल अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करेगा, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण भी सुनिश्चित करेगा।
तिलोदकी नदी, जिसे तिलोई या तिलंग भी कहा जाता है। 1905 के फैजाबाद जिले (जिसमें तब अयोध्या स्थित थी) के गजेटियर के अनुसार, मंगलसी नामक स्थान से निकलती है। यह नदी अयोध्या के पूर्व में सरयू नदी में मिल जाती है। कुछ स्रोतों के अनुसार, यह पंडितपुर सोहावल से भी निकलती है। तिलोदकी नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण जल निकाय है जिसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह नदी अयोध्या के लिए एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित की जा रही है।
जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि पहले चरण में सात किमी की सफाई गऊरा ब्राह्मणान से पंडितपुर (सोहावल) तक कराई जा रही है, जिसमें 150 से अधिक श्रमिकों को लगाया गया है। तिलोदकी के तट पर 15 हजार से अधिक पौधे रोपने का लक्ष्य है, जिसमें से अब तक पांच हजार के करीब पौधों का रोपण किया जा चुका है।
राम आसरे

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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