
एटा जिले के राजा का रामपुर कस्बे के प्रसिद्ध विस्तगीरी महाराज मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन का आयोजन भक्तिभाव और दिव्य वातावरण में संपन्न हुआ। कथा का वाचन करने वृंदावनधाम से पधारे कथा व्यास पंडित राजीव पांडेय जी ने जब राजा परीक्षित की कथा और कलयुग के प्रभाव का वर्णन किया, तो श्रोताओं की आंखें श्रद्धा और भावुकता से भर आईं। कथा स्थल पर उपस्थित जनसमूह कथा में इतनी गहराई से जुड़ गया कि वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और भक्तिमय हो उठा।
राजा परीक्षित के श्राप की कथा ने किया भावविभोर
पंडित राजीव पांडेय ने कथा के तीसरे दिन राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए कहा कि वे बड़े प्रतापी और धर्मपरायण राजा थे। एक बार शिकार करते हुए वे थककर प्यासे हो गए और एक ऋषि के आश्रम में पानी मांगने पहुंचे। ऋषि शमीक ध्यान में लीन थे और उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। इसे राजा परीक्षित ने अपमान समझा और उन्होंने ऋषि के गले में एक मरा हुआ सांप डाल दिया। यह कृत्य कलयुग के प्रभाव का ही परिणाम था।
जब ऋषि के पुत्र श्रृंगी को यह बात ज्ञात हुई, तो उन्होंने क्रोध में आकर राजा परीक्षित को यह श्राप दे दिया कि “सातवें दिन उन्हें तक्षक नाग डसेगा और उनकी मृत्यु हो जाएगी।” कथा व्यास ने विस्तार से बताया कि इस घटना ने राजा परीक्षित के जीवन की दिशा ही बदल दी। उन्हें जब यह श्राप ज्ञात हुआ, तो उन्होंने अपने शेष जीवन के केवल सात दिनों में आत्मकल्याण का मार्ग चुना।
श्रीमद्भागवत कथा का महत्व और कलयुग का प्रभाव
राजा परीक्षित ने अपने अंतिम सात दिनों को व्यर्थ नहीं जाने दिया। उन्होंने सभी सांसारिक मोह-माया त्याग कर सुखदेव जी महाराज से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया। कथा व्यास ने बताया कि इसी कथा में सुखदेव जी ने कलयुग के आगमन, उसके लक्षण और प्रभावों का वर्णन किया।
पंडित राजीव पांडेय ने बताया कि कलयुग में मनुष्य की मानसिक स्थिति अत्यंत अस्थिर हो जाती है, और वह बिना कारण। पंडित राजीव पांडेय ने कथा सुनाते हुए कहा कलयुग में मनुष्य केवल भगवान का नाम जप करें तो वह भवसागर से पार हो जाता है