
एटा, उत्तर प्रदेश:
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हाकिम सिंह के बेटे संजीव कुमार पर महिला अधिवक्ता शिवा/फूल बी खान एडवोकेट को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और भद्दी गालियां देने का गंभीर आरोप लगा है। शिवा, जो हाकिम सिंह की जूनियर रह चुकी हैं, ने इस घटना के संबंध में कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष महोदय को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया है और जल्द से जल्द इस समस्या के समाधान की मांग की है।
मामले की गंभीरता और महिला अधिवक्ता के अधिकारों पर सवाल…
यह घटना न केवल व्यक्तिगत अपमान का मामला है, बल्कि महिला अधिवक्ताओं के सम्मान और उनके स्वतंत्र रूप से वकालत करने के अधिकार पर भी सवाल खड़े करती है। शिवा/फूल बी खान के स्वतंत्र चैंबर होने के बावजूद उनके साथ हुए इस दुर्व्यवहार ने बार में महिला अधिवक्ताओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
बार एसोसिएशन से अपेक्षित कार्रवाई….
शिकायतकर्ता ने बार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष महोदय से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें। उनकी मांग है कि बार एसोसिएशन एक बैठक बुलाए, जिसमें संजीव कुमार और शिवा/फूल बी खान दोनों पक्षों को बुलाया जाए। आम सभा में इस समस्या का समाधान निकालने से न केवल पीड़िता को न्याय मिलेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत संदेश भी जाएगा।
क्या महिला अधिवक्ताओं को स्वतंत्र रूप से वकालत करने का अधिकार है?
इस घटना के बाद यह सवाल भी महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या किसी महिला अधिवक्ता को अपना स्वतंत्र चैंबर होने के साथ वकालत करने के लिए अधिकृत किया गया है अथवा नहीं। कानूनी रूप से, सभी अधिवक्ताओं को, चाहे वे पुरुष हों या महिला, वकालत करने का समान अधिकार है और वे स्वतंत्र रूप से अपना चैंबर स्थापित कर सकते हैं। इस घटना ने इस मूलभूत अधिकार पर अनावश्यक प्रश्नचिह्न लगा दिया है, जो पूरी तरह से अनुचित है।
हमारी राय:
इस मामले में कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन को तत्काल और निष्पक्ष रूप से कार्रवाई करनी चाहिए। यह अत्यंत आवश्यक है कि बार एसोसिएशन एक मीटिंग बुलाकर दोनों पक्षों को सुने और मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित निर्णय ले। ऐसी घटनाओं से बार के भीतर सौहार्दपूर्ण वातावरण खराब होता है और महिला अधिवक्ताओं का मनोबल गिरता है।
एक महिला अधिवक्ता को अपना स्वतंत्र चैंबर होने के साथ वकालत करने का पूर्ण अधिकार है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई प्रतिबंध या संदेह नहीं होना चाहिए। बार एसोसिएशन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके सभी सदस्य, विशेषकर महिला अधिवक्ता, बिना किसी डर या अपमान के अपने पेशे का अभ्यास कर सकें। यह घटना बार के नियमों और नैतिकता का उल्लंघन है, और इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह का दुर्व्यवहार करने की हिम्मत न कर सके। ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए बार में एक स्पष्ट नीति और प्रक्रिया होनी चाहिए।