
जैब में है कैश तो OYO होटल में ऐश लड़की भी उपलब्ध पर राउंड हजार रुपए
जिम्मेदार मौन कार्यवाही करें कौन
खाकी बर्दी संरक्षक तो सजने लगे जिस्मफरोशी बजार
एटा -उत्तर प्रदेश में भले ही संत सरकार हो लेकिन जमीनी हकीकत पर खाकी खादी को चूतियां बनाने का कार्य खुलेआम कर रही है,खाकी को सिक्के की खनक चाहिए और खादी को चमड़े का जहाज तो मिली भगत में चलने दो सहाब OYO किसी का तो भला कर रहे हैं, लेकिन एक बात तो है अलीगंज रोड़ से निकल कर जिस्मफरोशी जीआईसी रोड़ होती हुई शिकोहाबाद रोड़ से निकल कर शहर में प्रवेश कर कासगंज रोड़ पर अपनी जड़ों को मजबूती प्रदान कर रही है, चौकी प्रभारी सिक्के की खनक पर थिरकते नजर आ रहे हैं, और कह रहे हैं सहाब में क्या करु इंस्पेक्टर के माध्यम से बसूली जाल बिछाया गया और ऊपर तक आईपीएस का चढ़ावा जाता है, अवैध धंधा करने वाले निरंकुश हो जाएंगे कभी सोचा नहीं था जाग कर भी सोहे का बहाना खाकी करती रहेगी, माफियाओं को बख्शा नहीं जाएगा संत सरकार चिल्ला चिल्ला कर सत्ता से बाहर चली जाएगी नौकरशाही के ठाट बाट जोह के तोह रहेंगे, पहले तो एटा जिला में चार्ज कोई लेना नही चहाता लेकिन ले लेता है तो कोई जाना नहीं चाहता है
संत सरकार के फोर्मुला फेल
कानून व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए बेरोजगार युवाओं में जोश चढ़ता है तो चोरी चकारी धंधा बढेगा, अब चोर लुच्चे तो मान लेते हैं, हमने दस लाख रुपए की चोरी की और हमें पुलिस ने जेल में बंद कर दिया और जब तक हम जेल में रहते तब तक एक नौकरी धारक (फोजी)की तरह मानते हैं,जब वेल हो जाती है तो नौकरी धारक को छुट्टी मिलती है, वैसे ही हम है, तो फर्क किस पर पड़ेगा ये पब्लिक है सब जानती है,
आखिर क्यों चंद सिक्के की खनक पर थिरकती खाकी
जब से पश्चिम सभ्यता हावी हुई और प्रशासन के आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों को हवा लगी तो गलतफहमियां के शिकार हो चुके किसी भी हद तक जा सकते हैं, लूट खसोट देख कर कर्मचारियों में भी होड़ लग जाती है,हम जितनी सम्पदा एकत्रित करेंगे, उतना हमारा रुतबा हासिल करेंगे,
आखिर क्यों सरकार धन सीलिंग एक्ट लागू नहीं करती
सरकार को तय करना चाहिए, अमीर और अमीर होता जा रहा है,गरीब और गरीब होता जा रहा है, जिसका जीता जागता उदाहरण है,जब तक तय नही होगा कि एक व्यक्ति सरकार के तय मुताबिक इस बुनियादी ढांचा तक धन रख सकता है, उससे अधिक धन सीलिंग एक्ट के तहत रोजनामचा के वावत सरकार सील कर देंगी,
फिलहाल किसी के कान पर जूं रैंकने वाली नहीं है,