
एटा मेडिकल कॉलेज में हद पार, इमरजेंसी वार्ड में थर्मामीटर तक नहीं, मरीजों की जान से खिलवाड़ – बुनियादी सुविधाओं का टोटा, प्रशासन की लापरवाही से तड़प रहे मरीज
आज हम एक ऐसी खबर दिखाने जा रहे हैं जो न सिर्फ इंसानियत को झकझोर देती है, बल्कि हमारे सरकारी सिस्टम की लापरवाही की शर्मनाक तस्वीर भी सामने लाती है।
एटा मेडिकल कॉलेज… करोड़ों की लागत से बना ये अस्पताल… लेकिन जब एक मासूम बच्चे को आपात स्थिति में वहां लाया गया, तो डॉक्टरों के पास बुखार मापने का थर्मामीटर तक नहीं था!”
“घटना एटा मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड की है। रात 12 बजकर 20 मिनट पर एक मां अपने बीमार बच्चे को लेकर मदद की उम्मीद में वहां पहुंची।
लेकिन वहां जो हुआ, उसने न केवल मां को झकझोर दिया, बल्कि अब पूरा ज़िला सवालों से घिरा है। डॉक्टर ने मां से साफ कहा—‘थर्मामीटर खराब है, एप्लीकेशन डाली है।’
हैरानी की बात ये रही कि डॉक्टर ने बच्चे को छूकर तक नहीं देखा… इलाज की शुरुआत तो दूर की बात है!”
“इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोग पूछ रहे हैं—अगर इमरजेंसी में थर्मामीटर नहीं होगा तो डॉक्टर क्या अंदाज़े से इलाज करेंगे?
क्या यही है हमारी हेल्थकेयर व्यवस्था का हाल, जिसके नाम पर हर साल बजट में करोड़ों खर्च होते हैं?”
“ये कोई पहली बार नहीं है जब एटा मेडिकल कॉलेज पर लापरवाही का आरोप लगा हो। लेकिन इस बार मामला मासूम की जान से जुड़ा था।
मां की जिद पर बच्चे को पीडियाट्रिक विभाग में रेफर कर दिया गया, लेकिन बड़ा सवाल यही है—क्या किसी की जिद पर ही यहां इलाज मिलेगा?”
जब मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर रजनी पटेल से बात करने की कोशिश की है उन्होंने बात करने से साफ इनकार कर दिया
**”प्रशासन चुप है, मेडिकल कॉलेज की ओर से कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है।
अनादि टीवी का सवाल है –
👉 थर्मामीटर न होने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
👉 क्या यही है ‘स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति’?
👉 और कब तक आम जनता ऐसी लापरवाही का शिकार बनती रहेगी?”
“हम इस खबर पर पूरी नज़र बनाए हुए हैं, और उम्मीद करते हैं कि इस बार सिर्फ एप्लीकेशन नहीं, एक्शन भी लिया जाएगा।”