
सिंदरी शहरपुरा युथ क्लब स्थित मीरा मोहन धाम के नव निर्मित श्री राधा कृष्ण मंदिर से निकली गई श्री राधा कृष्ण की नगर भ्रमण भव्य झांकी , एवं श्री मद्भागवत कथा का छठवें दिन भी हुआ प्रवचन।
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सिंदरी, धनबाद।
सिंदरी शहरपुरा युथ क्लब स्थित मीरा मोहन धाम में नव निर्मित श्री राधा कृष्ण मंदिर में श्री राधा कृष्ण की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ साथ श्री श्री 108 श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ 2 मई से प्रारंभ हुआ जिसमें 7 मई बुधवार को संध्या बेला में पूरे गाजे बाजे के साथ अपार संख्या में लोगों ने श्री राधा कृष्ण जी का नगर भ्रमण निकाला नगर भ्रमण में लोगों ने खुशी से नाचते गाते अबिर गुलाल खेलते और आतिशबाजी करते नगर का परिभ्रमण किया नगर भ्रमण में रथ पर सवार बाल कलाकारो में कृष्ण राधा एवं अन्य कलाकारों से सुशोभित झांकी भी शामिल था जो लोगों के मन को मुग्ध कर दिया नगर भ्रमण मीरा मोहन धाम से जय हिन्द मोड़ होते हुए गुरु द्वारा जे टाइप कालोनी ताल तला काली माता के मंदिर होते हुए शहरपुरा शिव मंदिर मोड़ पर पहुंचा जहां नगर भ्रमण के श्रद्धालुओं के लिए शर्बत की व्यवस्था की गई थी। वहां से शहरपुरा बाजार होते हुए पुनः श्रद्धालुओं ने मीरा मोहन धाम पहुंचे जहां लोगों ने विधिवत पूजा अर्चना किये जिसमें मुख्य यजमान में गौरव वक्ष उर्फ लक्की सिंह एवं मोहन सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे। पूजा अर्चना के बाद श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन श्रीकृष्ण रासलीला का प्रसंग प्रारंभ हुआ।
श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा प्रारंभ करते हुए मध्य प्रदेश गंजबासोदा से आए आस्था भजन एवं सत्संग चैनल की प्रखर प्रवक्ता डॉक्टर अमृता करूणेश्वरी जी भगवान की अनेक लीलाओं में कालिया मर्दन की लीला चीरहरण की लीला श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का श्री कृष्ण से मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामथ्र्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए देवी जी ने कहा जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। साथी उद्धव चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान ने उद्धव जी को गोपियों से मिलाया क्योंकि उद्धव जी की भक्ति में ज्ञान तो बहुत था परंतु भाव और प्रेम की कमी थी जो की गोपियों से मिलकर पूर्ण हुई और साथ ही भगवान ने उद्धव जी को अपनी संर्वाग दर्शन कराए है। परमात्मा श्री कृष्ण ने बताया कि संपूर्ण सृष्टि कृष्ण के अंदर ही है और कृष्णा संपूर्ण सृष्टि के कण-कण में विराजित है। इस
भव्य कार्यक्रम एवं सात दिनों तक चलने वाले यज्ञ के आयोजक गौरव वक्ष उर्फ लक्की सिंह एवं संस्थापक मोहन सिंह ने कहा कि इस भव्य दिव्य कथा से लोगों को धर्मलाभ प्राप्त तो हो ही रहा है साथ साथ सत्संग कथा व भक्ति के माध्यम से लोग अपने जीवन को पुण्यमय भी बना रहे हैं जो सनातन धर्म के लिए खुशी की बात है। छः दिनों से चल रहे उक्त भव्य कार्यक्रम से पूरा सिंदरी भक्तिमय वातावरण में डुबा हुआ है।