वक्फ संशोधन अधिनियम-बंगाल में हिंसा विषय पर आयोजित की गई।

राष्ट्रचिंतना की 26 वीं मासिक गोष्ठी प्रिंस इंस्टिट्यूट ऑफ़ इन्नोवेटिव टेक्नोलॉजी, नॉलेज पार्क 3 के सभागार में वक्फ संशोधन अधिनियम-बंगाल में हिंसा विषय पर आयोजित की गई।

विषय परिचय करवाते हुए प्रोफेसर विवेक कुमार निदेशक एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने कहा की मोहम्मद साहब के समय में भी एक बाग को वक्फ किया गया था। वक्फ का अर्थ है दान स्वरूप दी गई संपत्ति। बिगड़े हुए स्वरूप में यह आज रेलवे और भारतीय सेना के पश्चात 9.40 लाख एकड़ जमीन, 8.72 लाख अचल संपत्ति, 16000 चल संपत्ति कुल मिलाकर 1.2 लाख करोड़ रुपयों का स्वरूप धारण कर गई है। 2013 के पश्चात 20 लाख 92 हजार एकड़ की वृद्धि हुई है। हिंदू हित की अनेकों जनहित याचिकाएं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। जबकि तीस्ता सीतलवाड़ जैसी फर्जी समाज सेविका के लिए सर्वोच्च न्यायालय रात के 2:00 बजे भी याचिका पर सुनने के लिए बैठी है। अश्वनी उपाध्याय जी की 150 जनहित याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। मुर्शिदाबाद में बंगाल के हिंदू पलायन करने को मजबूर हैं। क्या सर्वोच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान नहीं लेना चाहिए?

गोष्ठी की मुख्य वक्ता श्रीमती मनी मित्तल, ने अपने उद्बोधन में बताया कि वक्फ बोर्ड 1923 में अंग्रेजों ने बनाया। जो कि बेवाह और मुजलिमों की भलाई के लिए था। पाकिस्तान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद वक्फ की क्या आवश्यकता है? इसे पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए। मद्रास प्रेसीडेंसी में पाकिस्तान निर्माण समर्थक कोई भी नेता पाकिस्तान नहीं गए। हरा रंग, हरी चादर डालकर जानी गांव जनपद मेरठ में कावड़ियों के आने जाने के बहुत ही संकरे रास्ते में भी मजार बनाकर बैठ जाते हैं। 1995 में कानून में विशेष संशोधन किया गया जिससे सर्वोच्च न्यायालय तथा भारत सरकार से भी ऊपर की शक्तियां ऐसे ही प्रदान कर दी गई। दिल्ली प्रांत की आम आदमी पार्टी की सरकार जाते-जाते 125 संपत्तियों को वक्फ कर गई।

विदुषी अधिवक्ता ने धारा दो, तीन a,b,c, 36,37,40 का उल्लेख करके इस कानून की कमियों के बारे में अवगत करवाया। 2013 में ही संशोधित धारा 40 के असीमित अधिकारों को इस बार किए गए संशोधन में सुधार किया गया। जिससे जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर हजारों एकड़ गरीब मुसलमान की जमीन जो हड़पी गई थी उनके खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर करने का रास्ता साफ हुआ। तत्पश्चात संभल में मस्जिद के पास की 10 दुकान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आदेश पर गिरवाई गई। इन्होंने तो प्रयागराज में आजाद पार्क ही हड़प लिया था, जोकि स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद जी की स्मृति का प्रतीक है। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी ने धारा 370 के साथ-साथ 35 ए को भी हटाने की मुहिम चलवाई है।
सर्वोच्च न्यायालय को केवल किसी भी कानून की विवेचना का अधिकार है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सक्रियतावाद का शिकार है तथा न्यायपालिका हिंदू द्रोही हो चुकी है।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत जी ने पश्चिम बंगाल की मुर्शिदाबाद तथा जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हिंदुओं पर हुए अमानवीय अत्याचारों तथा नृशंस हत्याओं की भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि शहर शहर इस अमानवीय कृत्य का विरोध हो रहा है।

धर्म के आधार पर पहचान सुनिश्चित कर निहत्थे हिंदुओं की हत्या करने के बाद पाकिस्तानी नेता भारतवर्ष के सिंधु जल समझौते को निरस्त करने के संकल्प पर उसे युद्ध की घोषणा मानने का कुप्रयास कर रहे हैं।

जबकि चीन में इस्लामी कट्टरपंथ और शरिया कानून लागू न होने पर भी इनके बोल भी नहीं निकलते हैं। 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए आक्रमण के पश्चात उसने अपने देश में पैट्रियोटिक एक्ट 2001 पास किया जिसके अनुसार बिना किसी सुनवाई के आतंकवादियों को मृत्यु दंड की सजा सुनिश्चित की गई। भारतवर्ष को भी ऐसे ही कानून बनाकर, उनका अनुपालन करवाकर तथा आतंकवाद को जड़ से समाप्त करके मानवता का भला करना ही होगा। संस्थान के चेयरमैन ने सभी का स्वागत करते हुए घोषणा की कि कोई भी छात्र जो फीस देने में सक्षम नहीं है, उनका संस्थान ऐसे छात्रों को अपने यहाँ प्रवेश देकर उन्हें पूरी मदद करेगा | गोष्ठी में अधिवक्ता मणि मित्तल को राष्ट्र गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
अंत में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की धर्म के आधार पर की गयी नृशंश हत्या पर शोक व्यक्त किया गया, सभी ने दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की | राजेश बिहारी जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया | गोष्ठी में मीडिया प्रभारी डॉ नीरज कौशिक, प्रवीण शर्मा, राजेंद्र सोनी, धन प्रकाश शर्मा, डॉ बी के श्रीवास्तव, डॉ आरती शर्मा, गजानन माली, गार्बेज क्लिनिक के प्रवीण नायक, श्रीचंद गुप्ता, अनिल बिधूड़ी, अरविन्द साहू, अनिल तायल, भोला ठाकुर, सुवेद दीक्षित, जूली, डॉ दिव्या, पंकज, नरेश कुमार गुप्ता, संगीता सक्सेना, कांति पाल, संगीता वर्मा, माही, धीरेन्द्र, राजीव कुमार नाथ, आरती शर्मा, रविंद्र पाल सिंह, धर्म पाल भाटिया आदि प्रबुद्धजन उपस्थित रहे |

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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