पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने उठाये है ठोस कदम

प्रयागराज। पर्यावरण का अर्थ संपूर्ण प्राकृतिक परिवेश से है जिसमें हम सभी रहते हैं। इसमें हमारे चारों ओर के सभी जीवित और निर्जीव तत्व शामिल होते हैं, जैसे कि हवा, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे, जानवर और अन्य जीव-जंतु। पर्यावरण के घटक परस्पर एक-दूसरे के साथ जुडकर एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।
बढ़ते औद्योगीकरण के विभिन्न आवामों से हालांकि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए इनके गलत उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। दूषित पर्यावरण उन घटकों को प्रभावित करता है, जो जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने, प्रकृति और पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून को मनाया जाता है। इस मौके पर विभिन्न देश अलग अलग तरीके से पर्यावरण को लेकर अपने नागरिकों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। पर्यावरण दिवस मनाने की नींव 1972 में पड़ी, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहला पर्यावरण दिवस मनाया है और हर साल इस दिन को मनाने का एलान किया।
पहला पर्यावरण सम्मेलन 5 जून 1972 को मनाया गया था, जिसमें 119 देशों ने भाग लिया था। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सम्मेलन हुआ था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के पहले दिन को चिन्हित करते हुए 5 जून को पर्यावरण दिवस के तौर पर नामित कर लिया। पूरे विश्व में प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति खतरे में हैं। प्रकृति जीवन जीने के लिए किसी भी जीव को हर जरूरी चीज उपलब्ध कराती है। ऐसे में अगर प्रकृति प्रभावित होगी तो जीवन भी प्रभावित होगा। प्रकृति को प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाते हुए आमजन को जागृत किया जाता है।
प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की एक खास थीम होती है। पिछले साल यानी विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित थी। विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम “Land Restoration, Desertification And Drought Resilience” है। इस थीम का फोकस ’हमारी भूमि’ नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर केंद्रित है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह कई गैर-सरकारी संगठनों, व्यवसायों, सरकारी संस्थाओं द्वारा समर्थित है।
5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था तभी से ही यह समुद्री प्रदूषण, अधिक जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग, टिकाऊ विकास और वन्यजीव अपराध जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का एक मंच रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस सार्वजनिक आउटरीच के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें सालाना 143 से अधिक देशों की भागीदारी होती है। प्रत्येक वर्ष, कार्यक्रम ने पर्यावरणीय कारणों की वकालत करने के लिए व्यवसायों, गैर सरकारी संगठनों, समुदायों, सरकारों और मशहूर हस्तियों के लिए एक थीम और मंच प्रदान किया है।
पर्यावरण को सुधारने हेतु यह दिवस महत्वपूर्ण है जिसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है। वर्ष 2024 मे पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए निर्धारित थीम के अन्तर्गत विश्व के देशों ने विशेष बल दिया है। मरूस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखा पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता व आजीविका के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, जिससे पारिस्थितिक रूप से सुदृढ़ भूमि प्रबंधन प्रथाओं को अपनाना अनिवार्य हो जाता है। प्रत्येक बीते वर्ष के साथ, इन चुनौतियों से निपटने की तात्कालिकता और अधिक स्पष्ट हो जाती है, जिससे हमें उनके प्रभाव को कम करने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व की अनुभूति होती है।
हमारे ग्रह के भूमि संसाधनों के लिए मरूस्थलीकरण सबसे घातक खतरों में से एक है, जो चुपचाप पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता और आजीविका पर अतिक्रमण कर रहा है। पुनर्वनीकरण और वनीकरण की पहल मरू भूमि को बहाल करने और मरूस्थलीकरण को कम करने, वन्यजीवों के लिए आवश्यक आवास प्रदान करने और कार्बन पृथक्करण लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि वानिकी संरक्षण, कृषि और एकीकृत जल प्रबंधन जैसी टिकाऊ कृषि प्रथाएं मिट्टी की उर्वरता मे सुधार लाने, सूखे के प्रति लचीलापन बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में योगदान करती है।
उत्तर प्रदेश में प्रकृति के विभिन्न श्रोंतों के दोहन को रोकने, अपनी भूमि को उपजाऊ एवं प्राकृतिक स्तर पर लाने के लिए अनेको कार्य किये जा रहे है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश में लगभग 204.65 करोड़ पौधे रोपित करते हुए वनावरण एंव भूमि की हरियाली बढ़ाई है। भूमि के कटाव को रोकने के लिए मेड़बन्दी, भूमि संरक्षण इकाई के माध्यम से बन्धे-बन्धिया, छोटे-छोटे बाँध, भूमि का समतलीकरण, कटान वाले क्षेत्रों मे सघन वृक्षारोपण आदि कार्य किये गये है। भूमि की उर्वरता, गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खेती तथा सिचाई की नई विधियों को अपनाते हुए भूमि को स्वस्थ रखा जा रहा है। प्रदेश सरकार गाँवों शहरों की लगातार सफाई करा रही है साथ ही प्रदूषण फैलाने वाली प्लास्टिक की पन्नियों आदि पर रोक लगाई है। परम्परागत खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप प्रयोग किये जाने वाली लकड़ी के स्थान पर सरकार ने हर गाँव, शहर के परिवारों को एल०पी०जी० कुकिंग गैस की सुविधा उपलब्ध कराई है। वाहनों में पेट्रोल/डीज़ल पर निर्भरता कम करने के लिए सी०एन०जी० गैस व इलेक्ट्रिक आधारित वाहनों के उपयोग पर विशेष बल दिया है। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार ने ठोस कदम उठाए है।
राम आसरे

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× अब ई पेपर यहाँ भी उपलब्ध है
अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks