. धीरज कुमार यादव पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अभिषिक्त

“समरसता के शिल्पी” डॉ. धीरज कुमार यादव पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अभिषिक्त

यादव राजनीति के पितामह स्व. नत्थू सिंह यादव की गौरवगाथा के उत्तराधिकारी को पुनः सौंपी गई सामाजिक चेतना की वटवृक्षीय बागडोर

करहल, मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)। जब सामाजिक नेतृत्व दिशाहीन प्रतीत होता है और समरसता की ज्योति मंद पड़ने लगती है, तब इतिहास पुनः अपने एक पुरोधा को स्मरण करता है—डॉ. धीरज कुमार यादवभगवान परशुराम सेवा समिति द्वारा संचालित सामाजिक चेतनामंच के अंतर्गत कार्यरत भारतीय यादव समाज कल्याण मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पुनर्गठन में उन्हें पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है।

यह नियुक्ति केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि एक नवधर्म है, जो यादव राजनीति के जनक, स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सांसद व विचारक्रांतिकारी स्वर्गीय चौधरी नत्थू सिंह यादव जी की समाजवादी परंपरा की पुनर्पुष्टि है। वे वही महापुरुष थे, जिन्होंने अपनी विधानसभा सीट का त्याग कर मुलायम सिंह यादव को राजनीति के राजपथ पर आरूढ़ कराया था।

उनके इस वैचारिक यज्ञ की अग्निशिखा हैं डॉ. धीरज कुमार यादव—स्वर्गीय नत्थू सिंह जी के नाती एवं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री, माननीय सुभाष चंद्र यादव जी के सुपुत्र। आपने लगातार ब्लॉक प्रमुख के रूप में जनसेवा की मिसाल कायम की है और कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के प्रबंध निदेशक के रूप में शिक्षा की लौ जलाकर समाज के प्रत्येक वर्ग को आलोकित किया है।

आपकी नियुक्ति की घोषणा माननीय श्री अरुण दीक्षित, राष्ट्रीय अध्यक्ष – सामाजिक चेतनामंच एवं ब्रह्म समाज एकता समिति द्वारा की गई, जिसे माननीय श्री कलराज मिश्र जी, पूर्व राज्यपाल, राजस्थान एवं मुख्य संरक्षक – सामाजिक चेतनामंच को सूचनार्थ भेजा गया है। साथ ही माननीय श्री अनिल कुमार गुप्ता, राष्ट्रीय महासचिव को यह निर्देशित किया गया कि इस नियुक्ति को संगठन की गार्ड फाइल में सुरक्षित किया जाए।

जन-जन में नवस्फूर्ति की लहर

इस पुनीत मनोनयन के उपरांत संपूर्ण सामाजिक चेतनामंच परिवार, छत्तीसों समाज, तथा देशभर के सामाजिक संगठनों में हर्ष, उत्साह एवं गौरव की तरंगें फूट पड़ीं। जनमानस ने इसे सामाजिक न्याय, नेतृत्व और उत्तरदायित्व के धर्म का नवयुग कहा।

नववाक्य उद्घोष

“जाति नहीं, समरसता हो संकल्प। पद नहीं, सेवा हो धर्म।” डॉ. धीरज यादव का यह जीवन वाक्य समाज के लिए एक प्रेरणास्तंभ बन चुका है।

इस पुनर्नियुक्ति से न केवल यादव समाज, बल्कि समस्त भारतीय सामाजिक संरचना में एक नवीन ऊष्मा, नवदृष्टि और नवयुग की आहट सुनाई दे रही है। यह केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्जागरण का शंखनाद है।

सादर अभिनंदन एवं यशस्वी पथ की मंगलकामनाओं सहित।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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