ईसन नदी को किसानों को गोद देने के लिए मांग पत्र जल शक्ति मंत्री को सौंपा, तत्काल समाधान कराने का आश्वासन दिया

वर्तमान समय में पर्यावरण एवं जल संकट को दृष्टिगत रखते हुए मां गंगा की सहायक जीवन दायनी ईसन नदी को किसानों को गोद देने के लिए मांग पत्र जल शक्ति मंत्री को सौंपा, तत्काल समाधान कराने का आश्वासन दिया

अखिल भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल संघर्षी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव बल्ले चौधरी ने प्रतिनिधिमंडल के रूप में मा0 स्वतंत्र देव सिंह जी कैबिनेट मंत्री जल शक्ति उत्तर प्रदेश सरकार से मुलाकात कर निम्नलिखित मांग पत्र को सौंपा मा0 मंत्री जी ने जिलाधिकारी सहित अधीनस्थ सहयोगियों से बात कर तत्काल समाधान कराने का आश्वासन दिया उक्त प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकत कर अवगत कराया की मां गंगा की सहायक जीवनदायनी ईसन नदी को पुनर्जीवित कराने के उद्देश्य से क्षेत्र के किसान, नौजवान, मजदूर, महिलाओं ने संयुक्त रूप से एकत्रित होकर लगभग पिछले डेढ़ दशक से अखिल भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले अलीगढ़ से मैनपुरी तक पैदल यात्रा, एटा धरना स्थल पर किसान महापंचायत, कई दिवसीय अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन, सिंचाई विभाग – तहसील का घेराव, रेल एवं सड़क जाम कर किए गए प्रदर्शनों सहित चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किए तथा श्रमदान सहित काफी प्रयास किया गया लेकिन आक्रोशित किसानों को शांत कराने के उद्देश्य से शासन प्रशासन ने करोड़ों रुपए के बजट से हल्का-फुल्का काम कराकर अपना पल्ला झाड़ने का काम किया है ईसन नदी की स्थिति जस की तस बनी हुई है वहीं बरसात के मौसम में एटा शहर की आधी आबादी डूब जाती है जबकि क्षेत्रीय किसान पिछले लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि ईशन नदी को समतल भूमि से कम से कम 10 फुट गहरी खुदाई कर नदी की तलहटी में एक मीटर गहरी कच्ची पेंच बनाई जाए जिससे जगह-जगह नदी में लंबे समय तक पानी रहने के कारण वाटर लेवल रिचार्ज के साथ-साथ नदी में आने वाली मछलियों आदि को भी लंबे समय तक पानी मिल सके एवं जंगली जीव जंतुओं को भी पीने का पानी आराम से उपलब्ध हो सके एवं नदी से कम से कम दो से तीन किलोमीटर दूर तक के सभी गांव – शहर – कस्बे के पानी निकास नाले तालाब तक एवं तालाब से ओवर फ्लो पानी निकास नाले नदी तक कम से कम 02 से 03 फुट गहरे खोदे जाएं उपरोक्त नदी के पास के सभी तालाबों को कम से कम 20 फुट गहरा खोदा जाए जिससे वाटर लेवल रिचार्ज हो सके और जमीन के पहले मोटे से किसानों को खेती की सिंचाई एवं पीने को पानी मिल सके और नदी में पूर्व काल में स्वत: चलने वाले चुअना पुनः चालू हो सके तथा नदी के किनारे दाएं बाएं पर्यावरण की दृष्टि से फलदार/ छायादार वृक्ष नजदीकी किसानों की सहमति से उन्ही किसानों की देखरेख में लगाए जाए जिससे उक्त वृक्षों के जीवन की रक्षा सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उक्त किसान निभा सकें तथा उपरोक्त नदी, तलाव एवं पानी निकास नाली की मिट्टी भी सामाजिक कार्य जैसे :- नदी से गांव को जोड़ने वाले चकरोड / रास्ता, विद्यालय, पंचायत घर, धर्मशाला, सामाजिक विवाह स्थल, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे और किसानों को पशु आदि निजी कार्यों हेतु उपलब्ध कराई जाए जो कि निकाली गई उक्त मिट्टी पुनः बारिश होने पर नदी, तालाब, पानी निकास नाले में गिरकर पुनः पाटने का काम ना करे जिससे एक बार में किए गए प्रयास का लाभ लंबे समय तक मिले तथा ईसन नदी पुनर्जीवित होकर अविरल बहती हुई मां गंगा का सहयोग करती रहे इसलिए काफी प्रयासों के बाद भी असफल रहने की वजह से किसानों ने पिछले वर्ष खुली बैठक में तय किया है कि उक्त नदी को हम किसानों को गोद दिया जाए जिससे हम सभी साथी सामाजिक लोगों के आर्थिक सहयोग से मशीनों, ट्रैक्टरों द्वारा एवं श्रमदान के बल पर ईसन नदी, पानी निकास नाले, तालाबों पर ठीक से काम कर चुके सके एवं साथ ही आपके संज्ञान में लाना है कि उपरोक्त ईसन नदी जनपद अलीगढ़ से पानी निकास नाले के रूप में हाथरस, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर होती हुई मां गंगा में बिल्हौर के पास मिलकर मां गंगा की सहयोगी बनती है और उक्त पत्र के माध्यम से मांग की गई है कि ईसन नदी को पुनर्जीवित कराने उद्देश्य से ईशन नदी सहित दो से तीन किलोमीटर दूर तक के सभी पानी निकास नाले, तालाब गोद दिए जाएं।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× अब ई पेपर यहाँ भी उपलब्ध है
अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks