खबर लखनऊ

लखनऊ,उल्लेखनीय है कि माननीय न्यायलय के आदेश से अप्रैल 2024 मे आवेदक अधिवक्ता सहदेव द्वारा अपने विपक्षी सत्य नारायण व अन्य के विरुद्ध 20,000 रूपए व मोबाइल लूट का मुक़दमा लिखाया था जिसकी विवेचना तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त, गाज़ीपुर लखनऊ द्वारा की गयी थी। विवेचक/ सहायक पुलिस आयुक्त विकास जायसवाल द्वारा विवेचना से पाया गया कि जिस नामजद अभियुक्त सत्य नारायण के विरुद्ध लूट का मुक़दमा लिखाया गया है वह पहले से ही आवेदक सहदेव द्वारा लिखाये गए पूर्व के मुकदमें मे जेल है तथा जिस मोबाइल के लूटने कि बात FIR मे लिखाई गयी थी वह किसी को अलॉट ही नहीं हुआ था बल्कि दो माह बाद आवेदक सहदेव के बेटे के नाम से आवंटित हुआ था। आवेदक द्वारा अपने जामीनी विवाद के कारण विपक्षी पर झूठा मुक़दमा लिखा दिया गया। विवेचना से झूठा मुक़दमा लिखाये जाने कि पुष्टि के कारण विवेचक विकास जायसवाल द्वारा आवेदक के विरुद्ध कार्यवाही हेतु माननीय न्यायलय को रिपोर्ट प्रेषित की गयी। दिनांक o2/04/25 को माननीय न्यायलय द्वारा विचारण के पश्चात् आवेदक सहदेव,एडवोकेट को सात वर्ष के कठोर कारावास व दो लाख का जुर्माना की सजा सुनाई गयी
जानकार सूत्रों की मानें तो उन्नाव जनपद में भी पूर्व में कुछ घटनाओं में जमीन विवाद में दबाव बनाने के लिए राजनौतिक संरक्षण प्राप्त एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया है।