पत्रकार दीपक पाण्डेय की अरेस्टिंग पर सवालिया निशान पैदा होता है

लखीमपुर खीरी में पत्रकार द हिंदी खबर यूट्यूब चैनल के संपादक” दीपक पाण्डेय, को रंगदारी के आरोप में जेल भेजे जाने का मामला अभी गरमाया हुआ है, पुलिस ने एफआईआर में दावा किया है, कि उनके पास रंगदारी मांगने का वीडियो सबूत के तौर पर मौजूद है, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई। इससे पत्रकार समुदाय में गुस्सा और नाराजगी फैल गई है,। कई पत्रकारों का कहना है कि यह कार्रवाई उनकी स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश हो सकती है और पुलिस ने बिना गहन जांच के जल्दबाजी में कदम उठाया अगर पुलिस के पास वास्तव में ऐसा वीडियो है, तो उसे सार्वजनिक करने या कम से कम पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों को दिखाने से पारदर्शिता बढ़ सकती है,। इससे न सिर्फ पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा मजबूत होगा, बल्कि विवाद भी कम हो सकता है,। हालांकि, कानूनी प्रक्रिया में सबूतों को आम तौर पर कोर्ट के लिए सुरक्षित रखा जाता है, और उन्हें सार्वजनिक करना पुलिस या प्रशासन के लिए जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब जांच चल रही हो फिर भी, पारदर्शिता के नाम पर यह एक कदम उठाया जा सकता है, बशर्ते गोपनीयता या जांच पर असर न पड़े हो सकता है आरोप लगाने वाला संविदा कर्मचारी राम दीप वर्मा ने विज्ञापन देने के बहाने पत्रकार दीपक पाण्डेय को कुछ पैसे दिए हों या अन्य किसी व्यक्ति को ऐसा करने के लिए सेट किया गया हो और फिर वीडियो बना लिया हो कि वह रंगदारी मांग रहे थे यह एक गंभीर परिदृश्य है, और इसे पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता अगर ऐसा हुआ, तो यह एक सोची-समझी साजिश हो सकती है, जिसमें पत्रकार को फंसाने के लिए सबूत बनाया गया हो। ऐसी स्थिति में वीडियो का संदर्भ और उसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठना लाजमी है,। क्या वीडियो में पूरी बातचीत है? क्या यह संपादित तो नहीं किया गया? क्या पैसे देने और लेने का संदर्भ स्पष्ट है, या इसे तोड़-मरोड़कर पेश किया गया? ये सवाल जांच में उठने चाहिए।पत्रकार संगठन इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं तो यह पत्रकार के पक्ष में एक मजबूत तर्क हो सकता है,। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वीडियो को स्वतंत्र रूप से जांचा जाए और दोनों पक्षों की बात सुनी जाए। फिलहाल, पुलिस ने वीडियो को सार्वजनिक नहीं किया है, और पत्रकारों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यह मामला तब तक सुलझने वाला नहीं लगता, जब तक सबूतों की पारदर्शी जांच और दोनों पक्षों की सुनवाई न हो। फिलहाल 29-3-25 को हुई सुनवाई में पत्रकार दीपक पाण्डेय कि जमानत याचिका को खारिज किया गया? रंगदारी के मामले में

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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