हम हिंदी स्वीकार नहीं करेंगे’, विधानसभा में बोले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन


चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा में मंगवार को त्रिभाषी नीति पर पेश किए गए विशेष प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु द्विभाषी नीति को नहीं छोड़ेगा. बहस के अंत में सीएम स्टालिन ने कहा कि द्विभाषी नीति के बारे में बात करते समय बीजेपी को छोड़कर सभी विपक्षी सदस्यों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं.
उन्होंने ने कहा, “हमने दृढ़ता से कहा है कि तमिलनाडु सरकार किसी भी कारण से तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेगी. जब एआईएडीएमके सदन उपाध्यक्ष ने बात की, तो उन्होंने कहा कि हम सभी दो भाषाओं के पक्ष में हैं. विपक्ष के नेता आज सुबह दिल्ली गए हैं. वह किससे मिलने जा रहे हैं? मैं यहां इस अनुरोध कर रहा हूं कि जब वह नेताओं से मिलें तो दो-भाषा नीति पर जोर दें.”
‘हम नीति नहीं छोड़ेंगे’
तमिलनाडु सरकार विधानसभा के सदस्यों द्वारा दो-भाषा नीति पर व्यक्त किए गए विचारों से सहमत है. तमिल और अंग्रेजी हमारी दो-भाषा नीति है. इसमें कोई बदलाव नहीं है. यह हमारी विजन नीति भी है. चाहे जितनी भी आलोचना की जाए, हम अपनी जीवन नीति नहीं छोड़ेंगे. मैं विधानसभा में फिर से दोहरा रहा हूं कि हम नीति नहीं छोड़ेंगे
‘हम हिंदी स्वीकार नहीं करेंगे’
मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही वे (BJP) हमें धमकी दें कि अगर हम हिंदी स्वीकार नहीं करेंगे तो हम पैसे नहीं देंगे, लेकिन मैंने विरुधाचलम में आयोजित समारोह के मंच पर, जहां हजारों शिक्षक एकत्रित हुए थे, अपना वादा दृढ़ता से दोहराया है कि हम कोई पैसा नहीं लेंगे और हम मातृभाषा की रक्षा करेंगे. भले ही वे 2000 करोड़ रुपये न दें. हम त्रिभाषावाद को स्वीकार नहीं करेंगे. मैं दोहराता हूं. यह पैसे का मुद्दा नहीं है. यह हमारे तमिल, तमिल राष्ट्र, तमिलनाडु के छात्रों और युवा समुदाय की रक्षा का मुद्दा है. हम गुलाम नहीं हैं जो अपनी जातीयता को गिरवी रखकर पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने धन उपलब्ध नहीं कराया है.

उन्होंने कहा कि यह सरकार तमिल भाषा की रक्षा करने वाली दो आंखों की तरह काम करेगी. जब अन्ना इसी विधानसभा में मुख्यमंत्री थे, तब 23-01-1968 को द्विभाषी नीति पर जोर देते हुए एक प्रस्ताव लाया गया था. द्विभाषी नीति तमिलनाडु के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू की जाएगी. केवल नीति ही नहीं. वह तमिलनाडु का कानून भी है. यह अन्ना द्वारा लाया गया कानून है. यह द्विभाषी नीति आधी सदी से तमिलनाडु का विकास कर रही है.
‘भाषा सीखने पर कोई रोक नहीं’
स्टालिन ने कहा कि द्विभाषी नीति ने तमिल लोगों के लिए दुनिया भर में रहने, शासन करने और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया. यह किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं है. किसी भी व्यक्ति पर कोई भी भाषा सीखने पर कोई रोक नहीं है. हम द्विभाषी नीति का इस तरह से पालन करते हैं कि हम किसी भी प्रमुख भाषा को अनुमति नहीं देते हैं, जो तमिल को नष्ट करना चाहती है.

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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