
नई दिल्ली: नक्सल प्रभावित इलाके में केंद्र सरकार सिविक एक्शन प्रोग्राम चलाती है. इसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय आबादी को वामपंथी उग्रवादियों के प्रभाव से दूर रखना होता है. केंद्र सरकार ने इस योजना के मद में 2014-15 से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को 196.23 करोड़ रुपये जारी किए हैं. केंद्र सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवादियों को खत्म करना है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “वामपंथी उग्रवादियों के प्रभाव से स्थानीय आबादी को दूर करने के लिए, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा नागरिक कार्य योजना चलायी जा रही है. जिसमें स्थानीय लोगों के कल्याण के लिए चिकित्सा शिविर, कौशल विकास जैसे विभिन्न नागरिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं. 2014-15 से सीएपीएफ को 196.23 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.”
नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार ने नक्सल समस्या से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया है. उन्होंने कहा कि सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए, दो वामपंथी उग्रवाद विशिष्ट योजनाओं अर्थात् सड़क आवश्यकता योजना (आरआरपी) और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) के तहत 17,589 किलोमीटर की मंजूरी दी गई है. इनमें से 14,618 किलोमीटर का निर्माण हो चुका है.
गृह राज्य मंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए 10,505 मोबाइल टावर लगाने की योजना बनाई गई है, जिनमें से 7,768 टावर चालू हो चुके हैं. राय ने कहा कौशल विकास के लिए 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 61 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) स्वीकृत किए गए हैं. इनमें से 46 आईटीआई और 49 एसडीसी कार्यरत हैं.
उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 255 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्वीकृत किए गए हैं. जिनमें से 178 ईएमआरएस कार्यरत हैं. वित्तीय समावेशन के लिए डाक विभाग ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 5731 डाकघर खोले हैं. 1007 बैंक शाखाएं और 937 एटीएम खोले गए हैं. अति वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 37,850 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) चालू किए गए हैं.
राय के अनुसार, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशिष्ट योजनाओं के अलावा, गृह मंत्रालय वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में भारत सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं के इष्टतम कार्यान्वयन के लिए अन्य मंत्रालयों के साथ निकट समन्वय में काम करता है. वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत अब तक अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों को 21,15,936 स्वामित्व विलेख वितरित किए गए हैं.
राय ने कहा, “वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के आदिवासी युवाओं तक पहुंचने के लिए आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम (TYEP) आयोजित किए जा रहे हैं. TYEP के माध्यम से आदिवासी युवाओं को देश के अन्य हिस्सों में विकास गतिविधियों और तकनीकी और औद्योगिक उन्नति से अवगत कराया जाता है और उन्हें देश के अन्य हिस्सों के लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव विकसित करने और उन्हें आकांक्षी बनाने में सक्षम बनाया जाता है. कार्यक्रम का उद्देश्य वामपंथी उग्रवादियों के झूठे प्रचार का मुकाबला करना भी है. 2014-15 से अब तक 32500 युवाओं ने इन कार्यक्रमों में भाग लिया है.”
नित्यानंद राय ने कहा कि इन नीतियों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है. भौगोलिक प्रसार सीमित हुआ है. राय ने कहा, “वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की घटनाएं और इसके परिणामस्वरूप नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौतें 2010 के उच्च स्तर से 2024 में क्रमशः 81 प्रतिशत और 85 प्रतिशत कम हुई हैं. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अप्रैल 2018 में 126 से घटकर 90, जुलाई 2021 में 70 और अप्रैल-2024 में 38 हो गई है.”