
एटा उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमलों और हत्या की घटनाओं ने एक बार फिर से पत्रकार सुरक्षा कानून की माँग को जोरदार बना दिया है। हाल ही में सीतापुर जिले में दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेन्द्र बाजपेयी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई, जिससे प्रदेश के पत्रकारों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
आज संयुक्त प्रेस क्लब के प्रांन्तीय अध्यक्ष के नेतृत्व में सभी पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर पत्रकारों की सुरक्षा और न्याय की माँग की है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को दबाने के लिए झूठे मुकदमों में फंसाने, धमकाने और हत्या करने जैसी घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं, जिससे पत्रकारिता पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
पत्रकारों पर हमले और साजिश का आरोप
संयुक्त प्रेस क्लब के महामंत्री के अनुसार, भ्रष्ट नेता, अधिकारी और माफिया गठजोड़ बनाकर ईमानदार पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं। पहले पत्रकारों को लालच देकर चुप कराने की कोशिश की जाती है, और जब वे झुकने से इंकार कर देते हैं, तो झूठे मुकदमों में फंसा दिया जाता है। अगर वे तब भी सच दिखाने से पीछे नहीं हटते, तो उनकी हत्या तक कर दी जाती है।
पत्रकारों ने आरोप लगाया कि प्रदेश में मीडिया की स्वतंत्रता खतरे में है और शासन-प्रशासन भी पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।इसी क्रम में राघवेन्द्र बाजपेयी की हत्या इसका ताजा उदाहरण है, जिसमें पुलिस प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है।
ज्ञापन में दी गयी संयुक्त प्रेस क्लब की मुख्य माँगें
संयुक्त प्रेस क्लब ने मुख्यमंत्री से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की माँग की है, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए, जिससे पत्रकारों को सुरक्षा मिल सके।
- किसी भी पत्रकार पर कानूनी कार्रवाई से पहले एक विशेष जाँच कमेटी गठित की जाए जिसमें पत्रकार वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिसअधिकारी तथा जन प्रतिनिधि शामिल रहें।
हत्या होने पर पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पेंशन व आवास की सुविधा दी जाए।
दिवंगत पत्रकार को “शहीद” का दर्जा दिया जाए।
पत्रकारों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस प्राथमिकता पर दिए जाएँ।
राघवेन्द्र बाजपेयी हत्याकांड: प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
पत्रकारों ने राघवेन्द्र बाजपेयी की हत्या को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं। दो दिन से अधिक बीत जाने के बावजूद हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर उठी माँग
संयुक्त प्रेस क्लब ने माँग की है कि—
- हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए।
- पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी जाए।
- पत्रकारों को सुरक्षा हेतु शस्त्र लाइसेंस प्राथमिकता पर दिए जाएँ।
- प्रदेश के मान्यता प्राप्त पत्रकार महासभा के अध्यक्ष को मिल रही धमकियों पर कार्रवाई की जाए।
पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए ठोस नीति की आवश्यकता
पत्रकारों ने माँग की कि—
पत्रकारों की शिकायतों की निष्पक्ष जाँच हो।
पत्रकारों को सरकार से मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल की जाए।
भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकारों को विशेष सरकारी सुरक्षा और कानूनी संरक्षण मिले।
पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो।
पत्रकारिता पर बढ़ते खतरे पर रोक लगाने की माँग
संयुक्त प्रेस क्लब के पत्रकारों ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकार स्वतंत्र रूप से निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर सकें। मीडिया संगठनों को धमकाने या दबाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए और पत्रकारों के कार्यालयों व कर्मस्थलों की सुरक्षा बढ़ाई जाए।
सरकार को जल्द कार्रवाई करनी होगी
संयुक्त प्रेस क्लब ने मुख्यमंत्री से माँग की है कि प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ और राघवेन्द्र बाजपेयी हत्याकांड में जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित किया जाए। पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
संयुक्त प्रेस क्लब के पत्रकारों ने
आज जिलाधिकारी एटा प्रेमरंजन सिंह के माध्यम से मुख्य मंत्री को भेज कर कार्यवाही की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में सुनील मिश्रा, प्रमोद लोधी, मदन गोपाल शर्मा, उमाकांत तिवारी, वीरेन्द्र गहलौत, संदीप शर्मा, वैभव वार्ष्णेय,मोहसिन मलिक, राकेश भदोरिया, नीतेश यादव, प्रदीप वर्मा,संतोष कश्यप,विनय यादव , साहिल मलिक, रवीश गोला, भरत वर्मा आदि पत्रकार गण शामिल थे