गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध व अमान्य विद्यालयों के संचालन पर सीधे बीईओ व बीएसए के विरुद्ध कार्यवाही आवश्यक —आर के पाण्डेय एडवोकेट

— आरटीई ऐक्ट,2009 के अनुपालन का मुद्दा।

बस्ती। राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण ब्यूरो के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके पांडे एडवोकेट ने जिलाधिकारी बस्ती व अन्य अधिकारियों को भेजे अपने शिकायती पत्र में 9 बिंदुओं पर उच्च स्तरीय जांच कमेटी द्वारा जांच करवाई के साथ-साथ गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध व अमान्य विद्यालयों के संदर्भ में बस्ती के बीएसए और सभी बीईओ के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
उपरोक्त के संदर्भ में जानकारी देते हुए वरिष्ठ सक्रिय समाजसेवी आरटीआई कार्यकर्ता व राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण ब्यूरो के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर के पाण्डेय एडवोकेट ने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में किए गए शिकायत व आरटीई एक्ट,2009 की धारा 18 की उपधारा 1, 2, 3, 4, 5 के तहत कार्रवाई की मांग पर वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के अनेकों गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध व अमान्य विद्यालयों को सीज करके उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की गई थी परंतु जिला बेसिक अधिकारी बस्ती तथा खंड शिक्षा अधिकारी हरैया आदि द्वारा जानबूझकर बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम,2009 का अनुपालन न कराने तथा गैर मान्यता प्राप्त अवैध विद्यालयों के संचालन होने देने के कारण आज भी जनपद बस्ती के अधिकांश ब्लॉक में गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध व अमान्य विद्यालयों का अनवरत संचालन जारी है।
बता दें कि अभी हाल में बस्ती में ही एक पूर्व दबंग विधायक व उसके परिवारजनों द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालय को कब्जा करके उस पर अपना विद्यालय चलाने की शिकायत आर के पाण्डेय एडवोकेट द्वारा ही की गई थी जिस पर कुछ कार्यवाही हुई थी। आर के पाण्डेय एडवोकेट द्वारा अवैध विद्यालयों की सूची कई बार बीएसए बस्ती को उपलब्ध कराई गई है।
आर के पाण्डेय ने बताया कि आरटीई एक्ट,2009 जोकि 1 अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू कर दिया गया है लेकिन यह निहायत ही चौंकाने वाला व देश का काला सच है कि बस्ती जनपद के बीएसए और सभी खंड शिक्षा अधिकारी अभी तक इस कानून को बस्ती जनपद में लागू नहीं करवा सके।
जानकारी देते हुए आर के पाण्डेय एडवोकेट ने बताया कि उन्होंने अपने शिकायती पत्र के 9 बिंदुओं में विद्यालय में व उनके संचालक संस्था के नाम से पर्याप्त भूमि भवन, कक्ष, खेल का मैदान, प्रयोगशाला व अन्य आवश्यक संसाधन का न होना, योग्य प्रशिक्षित शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की उपलब्धता न होना, एक समान पाठ्यक्रम, एक ही प्रकाशन की पाठय सामग्री, एक समान शुल्क की व्यवस्था न होने, विद्यालयों में या उनके द्वारा सांकेतिक किसी विशेष दुकान से ही अलग-अलग प्रकाशन की पाठय सामग्री आदि के अनिवार्यता, शिक्षक व कर्मचारियों को विभाग द्वारा निर्धारित वेतनमान, पीएफ आदि की सुविधाओं का अभाव, अल्पसंख्यक संस्थान के नाम पर छूट जबकि मान्यता, मानक, गुणवत्ता के विषय पर आरटीई ऐक्ट,2009 सभी पर एक समान रूप से लागू है। मान्यता के विपरीत अधिकांश विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षाओं का खुलेआम संचालन जबकि वास्तविक रूप में उन अतिरिक्त कक्षाओं के विद्यार्थियों को किसी अन्य विद्यालयों के अभिलेखों में दर्शाना, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बस्ती व खंड शिक्षा अधिकारी हरैया आदि द्वारा जानबूझकर प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही न किया जाना, शिकायतों के निपटान हेतु कोई स्वतंत्रत जांच की व्यवस्था न होना आदि सम्मिलित किया है। अपने 5 सूत्रीय मांग में जनपद बस्ती के हरैया सहित सभी ब्लॉक में संचालित कक्षा 1 से 8 तक के सभी विद्यालयों की उपरोक्त 9 बिंदुओं पर निष्पक्ष व पारदर्शी जांच करवाई हेतु एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर एक निर्धारित समयावधि में जांच कार्यवाही पूरी करने, जांच कमेटी में शिकायतकर्ता को सम्मिलित किए जाने, गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध व अमान्य विद्यालयों का अनवरत संचालन पाए जाने व आरटीई एक्ट, 2009 का अनुपालन न होने पर संबंधित बीईओ तथा बीएसए के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके विधिक कार्यवाही करने, बस्ती जनपद के बीएसए और सभी बीईओ के आय के सापेक्ष अर्जित कुल चल – अचल संपत्ति की जांच करने और 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के शत प्रतिशत साक्षरता ना हो पाने की जांच कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
मीडिया से वार्ता में आर के पाण्डेय एडवोकेट ने बताया कि वह आरटीई एक्ट,2009 को पूरी तरह से लागू करने तथा 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शत प्रतिशत साक्षर बनाने के लिए अपने अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे और आवश्यकता हुई तो माननीय उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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