
अति महत्वपूर्ण …
सुबह चाय के साथ बासी रोटी घी नमक लगा खाने का मुझे इतना नशा है जैसे किसी को गाँजा चरस का l
रात की एक रोटी इतनी सफाई से बचा कर रखती हूँ कि जैसे कल नही मिली तो प्राण न बचेंगे … ये आदत जाने कब से है याद नही …. शायद बचपन से
घर मे छह भाई बहन थे खूब रोटी बनती थीं और हमेशा बचती थी l धीरे धीरे स्वाद पसंद आने लगा और फिर आदत बनती गयी l ईश्वर की कृपा से सदैव स्वस्थ चुस्त दुरुस्त रही l पर पति बहुत परेशान रहते हैं हमेशा इस आदत से l कितने व्यंग्य कितने ताने " तुम्हें जिस दिन सुबह रोटी न मिले उस दिन घर भर को खाना न पचे l
मगर मुझ ढीठ की बासी रोटी बिना भोर नहीं l सुबह के नाश्ते की तैयारी रात से ही होने लगती है आटा न बचे तो कभी कभी जम्बो ( हमारा डॉगी ) की एक रोटी कम करके उसे ब्रेड दे कर रोटी अपने लिए रख लेती हूं l…. लब्बो लुआब ये कि रात को एक रोटी न बचे तो … समझो इस रात की सुबह नहीं 🙋
पतिदेव अक्सर पेट खराब रहने के कारण कल एक आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास गए …. उसने चैक किया रूटीन पूछा और पहला नियम यही लिखा …. कि सुबह नाश्ते में एक बासी रोटी खायें उसका नेचुरल यीस्ट अमृत समान होता है …. न गैस बनेगी न एसिडिटी … मैं पतिदेव को सिकन्दर की तरह ग़ुरूर से देख रही थी और पतिदेव मुझे शर्म के मारे देख ही नहीं रहे थे ….. राजा सचमुच रणक्षेत्र में चारो खाने चित्त ….कसम से घमंड से गर्दन तन गयी और सीना फूल कर कुप्पा
उस दिन की रात मेरे लिए छप्पर फाड़ कर खुशियां लाई जब पतिदेव ने कहा कि एक रोटी मेरे लिए भी रख लेना l
आप भी आज से ही शुरू कर दीजिए
Post credit – संध्या सिंह जी