पतित पावनी माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण और भगवान विष्णु के दसावतार को जीवन से जोड़ती संरचनाओं को दर्शाती रहीं पद्मविभूषण सोनल मान सिंह

कुमार गंधर्व के शिष्य पद्मश्री मधुप मुदगल के भजनों का श्रोताओं ने रसास्वादन किया।
गंगा की सतयुग से कलियुग के सफर को कथक के माध्यम से दर्शाया हेमा सिंह ने
मयूर एवं नृत्य रास से लुभाते रहे देविकिनन्दन
प्रयागराज। गंगा पण्डाल में शास्त्रीय एवं लोक नृत्य और शास्त्रीय भजनों का गवाह बना। आज प्रथम प्रस्तुति के रूप में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ख्याल एवं भजनों के सुविख्यात कलाकार तथा कुमार गंधर्व के शिष्य पद्मश्री मधुप मुदगल ने अपने प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सबसे पहले उन्होंने कबीर दास की एक बंदिश “राम गन बेलड़ी रे” गायकर सबको आनंदित कर दिया। कोई कहियो रे, कैसे आऊं रे जैसे मीरा के पदों से श्रोताओं को लुभाते रहे। मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्री राम के अनुज श्री लक्ष्मण पर उन्होंने “लाल लाडिले लक्ष्मण हेतु जन के” पद तथा गंगा स्तुति से सभी को भक्ति रस में भिगो दिया।
कार्यक्रम को दूसरी प्रस्तुति के रूप में पद्मभूषण एवं पद्मविभूषण से सम्मानित ओडिसी तथा भरतनाट्यम शैली की सुविख्यात नृत्यांगना, गुरु तथा मोटिवेशनल स्पीकर राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने गंगा अवतरण एवं मौलिकता और जीवन को दर्शाते विष्णु के दसावतार को दर्शकों के सम्मुख पेश किया। सोनल मानसिंह भारतीय शास्त्रीय नृत्य में एक विराट नाम है। मशहूर फिल्म निदेशक प्रकाश झा ने आपके विराट व्यक्तित्व को दर्शाते हुए एक डॉक्यूमेंट्री “सोनल” बनाई थी जिसे राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया गया। आज के प्रथम कार्यक्रम में महाराज सगर के पुत्रों को मोक्ष दिलाने के लिए भागीरथी की तपस्या से लेकर आज की गंगा की सोचनीय स्थिति को लक्षित करती नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की। उसके अतिरिक्त भगवान विष्णु के दशावतार को दर्शाती तथा सभी अवतारों को लक्षित करती भरतनाट्यम की प्रस्तुति से सबको आत्ममुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की अन्य प्रस्तुति के रूप में पण्डित ओम प्रकाश मिश्र व पण्डित बिरजू महाराज की शिष्या हेमा सिंह रावत ने गंगा अवतरण से गंगा उद्धरण तक सृष्टि के सभी युगों में उनकी महानता को वर्णन को नृत्य के माध्यम से परिभाषित किया। हेमा सिंह को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी से छात्रवृत्ति भी प्राप्त है। अमेरिकन चिली नेटवर्क में बीबी आपकी प्रस्तुति दिया है। इसके अलावा खजुराहो महोत्सब, विरासत, संकटमोचन मंदिर महोत्सव जैसे कई विशिष्ट उत्सवों से अपनी पहचान बनाई है।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में करीब 10 से भी अधिक देशों में रासलीला, रामलीला कर चुके श्री गिरिराज प्रसाद शर्मा के पुत्र व शिष्य डॉ० स्वामी देवकीनंदन शर्मा ने सबसे पहले वंदना व कृष्ण आवाहन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद नृत्य रास, तथा मयूर रास से सभी दर्शकों को मोहा। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण के बालरूप में माता यशोदा के साथ सुंदर प्रसंग को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत मे भगवान के बालस्वरूप में माता को अपने मुख में सभी अवतार को दर्शाने का मोहक नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंत में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम अधिषासी कमलेश कुमार पाठक ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्रम भेंट कर सभी को सम्मानित किया। कार्यक्रम का मंच संचालन प्रसिद्ध मंच संचालक अमित मिश्रा ने किया।
राम आसरे