
प्रयागराज।
चाक है जिगर, फिर भी आए हैं रफू कर के, जाएंगे हक़ीक़त से तुमको रूबरू करके, प्यार की इससे बड़ी और मिसाल क्या होगी, हम नमाज पढ़ते हैं गंगा में वजू करके।
शायर की इन पंक्तियों को इलाहाबाद के मुसलमानों ने अमर कर दिया। थके, हारे, भटके, श्रद्धालु जब चौक नखासकोना, रोशनबाग पहुंचे तो वहां मौजूद मुसलमान ने इस श्रद्धालुओं के लिए बैठने की रुकने की व्यवस्था करने में लग गया। लोगों ने अपने घरों के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए लोगो ने खाने पीने के इंतेज़मात भी खूब किए। थके श्रद्धालु भी ऐसी सेवा पाकर बेहद खुश नजर आए। श्रद्धालुओं में से कुछ ने तो कहा हम भले ही यहां गंगा स्नान करने आए थे, लेकिन यहां से हम अपने मन में आपकी सेवा लेकर जाएंगे और जीवन भर याद रखेंगे कि जब हम थके थे अपने गंतव्य तक जाने के भटक रहे थे कोई रास्ता बताने वाला नहीं था, समझ में नहीं आ रहा था कि कहा जाए, तो इलाहाबाद के मुसलमान हमारे लिए मसीहा बन कर आगे आए थे हम आपका दिल से धन्यवाद करते हैं। अभी भी सैकड़ों मुसलमान श्रद्धालुओं की सेवा में लगा है। मुसलमानों के साथ सिख समुदाय भी श्रद्धालुओं की सेवा में लगा है।