ताहिर हुसैन 12 घंटे ही कर सकेंगे चुनाव प्रचार, सुप्रीम कोर्ट ने दी कस्टडी पैरोल, क्या शर्तें?

ताहिर हुसैन 12 घंटे ही कर सकेंगे चुनाव प्रचार, सुप्रीम कोर्ट ने दी कस्टडी पैरोल, क्या शर्तें? ताहिर हुसैन 29 जनवरी से 3 फरवरी तक हर दिन 12 घंटे चुनाव प्रचार कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एआईएमआईएम उम्मीदवार और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार करने के लिए कस्टडी पैरोल दी है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हुसैन को अपनी कस्टडी पैरोल का खर्च वहन करना होगा। इसमें उनके साथ तैनात किए जाने वाले दिल्ली पुलिस जवानों, अधिकारियों और जेल वैन के साथ ही एस्कॉर्ट खर्च शामिल हैं।

सर्वोच्च अदालत ने ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए कस्टडी में पैरोल देते हुए 29 जनवरी से 3 फरवरी तक हर दिन उन्हें 12 घंटे के लिए बाहर आने की अनुमति दी है। अदालत में दिल्ली पुलिस ने भी अपना पक्ष रखा। दिल्ली पुलिस ने जोर देकर कहा कि जेल मैनुअल के अनुसार ताहिर हुसैन को सूर्यास्त से पहले वापस आना होगा।

सर्वोच्च अदालत ने रिहाई की शर्तें भी लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि ताहिर हुसैन दो पुलिसकर्मियों, जेल वैन और उनके लिए तैनात किए जाने वाले एस्कॉर्ट वाहन का खर्च वहन करना होगा। अदालत ने ताहिर हुसैन को दो दिन का अग्रिम खर्च जमा करने का निर्देश दिया है। यह प्रतिदिन लगभग 2 लाख से अधिक है।

सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन को अपने पार्टी कार्यालय जाने और निर्वाचन क्षेत्र के भीतर मतदाताओं के साथ बैठकें करने की अनुमति दी है, लेकिन वह करावल नगर में अपने मूल निवास पर नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा ताहिर हुसैन को अपने खिलाफ लंबित मामलों के बारे में कुछ भी बोलने की अनुमति नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन को जेल मैनुअल के अनुसार, 12 घंटे के लिए 2.47 लाख रुपये का खर्च जमा करने पर जेल से रिहा किया जाएगा। इसमें उनके साथ तैनात किए जाने वाले दिल्ली पुलिस जवानों, अधिकारियों और जेल वैन के साथ ही एस्कॉर्ट खर्च शामिल हैं। जेल मैनुअल के अनुसार ताहिर हुसैन हर दिन 12 घंटे के लिए बाहर रह कर चुनाव प्रचार कर सकेंगे।

ताहिर हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलीलें रखी। उन्होंने अपनी दलील में कहा कि चुनाव प्रचार के लिए केवल चार-पांच दिन बचे हैं। ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए कम दिन बचे हैं। मैं कह रहा हूं कि मैं घर नहीं जाऊंगा और एक होटल में रहूंगा और विवरण रिपोर्ट भी पेश करूंगा। वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दंगों में उनकी भूमिका गंभीर है। यदि उनको जमानत दी गई तो जेल में रहने हर कोई ऐसा करने लगेगा।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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