पद्मश्री विजय घाटे ने ताल की सरिता से बांधा समां

गिद्दा लोकनृत्य ने बिखेरा रंग, पंजाब की संस्कृति से दर्शकों को जोड़ा

प्रयागराज। संगम की पवित्र रेती पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित सांस्कृतिक गांव कलाग्राम का श्रीमती रूपा श्रीनिवासन, सदस्य वित्त (रेलवे बोर्ड) एवं पदेन सचिव, भारत सरकार तथा प्रमुख सचिव श्री अमृत अभिजात, नगर विकास, उत्तर प्रदेश कलाग्राम ने भ्रमण कर अनूभत मंडपम, पर्दशनी तथा सांस्कृतिक केंद्रों के पवैलियन, अनुभूति केंद्र को देखा, जहां गंगा अवतरण को 5 डी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। साथ ही नाटक समुद्र मंथन के प्रस्तुति को भी देखा। उन्होंने कहा कि कलाग्राम अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करने वाला है। केंद्र के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि ने उनका स्वागत किया। सोमवार को सांस्कृतिक कुंभ आयोजन सांस्कृतिक कुंभ में भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में तबले के जादूगर माने जाने वाले पद्मश्री विजय घाटे ने अपनी प्रस्तुति से कला प्रेमियों का दिल जीत लिया। उन्होंने अपनी तबला वादन कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने अपने विशिष्ट अंदाज में रागों पर आधारित तालों का प्रदर्शन किया, जिसमें उनके हाथों की गति और ताल की बारीकियां देखने लायक थीं। उनकी प्रस्तुति ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और विविधता को बखूबी उजागर किया। विजय घाटे ने “झपताल” और “तीनताल” में जो पकड़ और भाव पेश किए, वह दर्शकों को संगीतमय अनुभूति देने में पूरी तरह सफल रहे। लोकनृत्यों की कड़ी में पारंपरिक पंजाबी परिधानों में सजे कलाकारों ने अपनी गिद्दा लोकनृत्य की ऊर्जावान प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनकी हर हरकत, ताल और मुद्राओं में पंजाब की मिट्टी की सोंधी खुशबू महसूस हुई। मनमोहक गीतों और तालबद्ध प्रस्तुतियों से कलाग्राम के मंच को जीवंत बना दिया। वही असम से आए कलाकारों ने ढोल की थाप, बांसुरी की धुन पर बिहू नृत्य की प्रस्तुति देकर असम की लोक परंपराओं और संस्कृति को दर्शकों के समक्ष पेश किया। जबकि उड़ीसा के कलाकारों ने सम्बलपुरी नृत्य, मथुरा के कलाकारों ने ब्रज के नृत्य की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी। विशेष प्रस्तुति में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा नाटक समुद्र मंधन का मंचन किया गया। इस मौके पर काफी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।
राम आसरे

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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