मां को बच्चे के मुंह में दिखा सुराग

मां को बच्चे के मुंह में दिखा सुराग, अस्पताल लेकर गई तो हुआ चौकाने वाला खुलासा एक मां के लिए उसका बच्चा सबकुछ होता है। उसे जरा सी चोट भी लग जाए तो उसका दिल रो पड़ता है। यही वजह है कि वह अपने बच्चे को लेकर ओवर-प्रोटेक्टिव रहती है। कई बार ये ओवर-प्रोटेक्शन गलतफहमी का कारण भी बन जाता है।अब इंग्लैंड की इस घटना को ही ले लीजिए। यहां एक महिला को अपने दस महीने के बेटे के मुंह में एक सुराग दिखाई दिया। घबरा कर मां बच्चे को अस्पताल ले गई। लेकिन वहां जिस बात का खुलासा हुआ उसे देख हर कोई हंसने लगा।

दरअसल इंग्लैंड की रहने वाली 24 वर्षीय Becky Stiles अपने 10 महीने के बेटे Harvey का डायपर बदल रही थी। इसी दौरान उसकी निगाहें बेटे के मुंह के ऊपरी हिस्से पर गई। यहां उसे एक सुराख जैसा कुछ दिखाई दिया। यह देखते ही वह कांपने लगी। उन्होंने इस सुराग को छूने की कोशिश की लेकिन उनका बेटा उनके ऊपर चिल्लाने लगा।

इसके बाद महिला ने तुरंत बच्चे के पिता को बुलाया। उन्होंने बच्चे के मुंह में टॉर्च से देखा तो वह भी हैरान रह गए। उनके मुंह से निकल पड़ा कि ‘आखिर ये क्या बाला है?’ दोनों को कुछ समझ नहीं आया। घबराहट में दोनों अपने बेटे को अस्पताल ले गए। यहां नर्स ने बच्चे का करीब 30 सेकंड चेकअप किया। फिर नर्स ने जो बात बताई वह सुन माता पिता की भी हंसी छूट गई।

नर्स ने बच्चे के पेरेंट्स को बताया कि आप जिसे सुराग समझ रहे हैं तो वह असल में एक स्टिकर है। दरअसल बच्चे ने खेल खेल में एक स्टिकर अपने मुंह के अंदर ऊपरी हिस्से में चिपका लिया था। यह स्टिकर दूर से देखने पर किसी सुराग की तरह लग रहा था। घबराई हुई मां को यह समझ नहीं आया कि ये बस एक स्टिकर ही है। उसे लगा बच्चे के मुंह में सुराग हो गया है। इसलिए वह उसे हॉस्पिटल ले आई थी। हालांकि जब इस मामले का खुलासा हुआ तो अस्पताल में भी हंसी का माहौल बन गया।

यह मामला सोशल मीडिया पर भी बहुत वायरल हो रहा है। बच्चे के मुंह में स्टिकर वाली यह तस्वीरें सोशल मीडिया अपर वायरल हो रही है। जब लोगों को इस घटना के बारे में पता चला तो उनकी भी हंसी निकल गई। लोग तरह तरह के कमेंट्स करने लगे। एक यूजर ने लिखा ‘मां आखिर मां ही होती है। उसे हमेशा बच्चे को कुछ होने का डर रहता है। इसलिए वह स्टिकर और सुराग के बीच का फर्क समझ नहीं पाई होगी।’ वहीं एक अन्य यूजर लिखता है कि ‘गरिमत रही कि स्टिकर मुंह में ही चिपका रह गया, यदि बच्चा इसे निगल लेता तो दिक्कत हो जाती।’

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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