एटा,5 जनवरी 2025 संत निरंकारी सत्संग का आयोजन रविबार को अविनाशी सहाय आर्य विद्यालय में हुआ। जहां दिल्ली से पधारें निरंकारी संत श्याम लाल जी गर्ग ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सन्देश को दिया जन जन तक पहुंचते हुए कहा कि दिव्य गुणों को हम अपनाये, जीवन को हम सहज़ बनाये। यदि मानव जीवन में सहजता प्राप्त करना चाहता है तो दिव्य गुणों को अपनाना अति आवश्यक है। ब्रह्मज्ञान दिव्य गुणों को अर्जित करने में सहायक है। जिस प्रकार एक वृक्ष का जुड़ाव मिट्टी से रहता है तो वह हरा भरा और फल दायक बना रहता है।उसी प्रकार जब मानव परमात्मा (ब्रह्मज्ञान ) से जुड़ता है तो उसका जीवन में सहज़ता आ जाती है। ब्रह्मज्ञान मानव जीवन में परिवर्तन लता है। ज्ञान और कर्म मानव जीवन की वो सफलता है जो मानव को ऊचाई के शिखर पर ले जाता है। जाति मजहब, गरीव अमीर जैसी संकीर्ण भावनाएं मानव के बीच में हमेशा ही विकारों को जन्म देती है। जो दीवारों का काम करती है। ब्रह्मज्ञान सतगुरु की वह सौगात है जो दीवारों को खत्म कर एक छत के रूप में प्रेम वाला पुल तैयार कर देती है। जिससे मानव में मिलवर्तन, एकता, सहजता आती है।
ब्रह्मज्ञान मुक्ति का मार्ग दिखता है। जो भक्त भक्ति के मार्ग पर चलते है उनकी मुक्ति संभव है। मंजिल की पहचान हो तो राह (रास्ता) चलने में आनंद आता है। सतगुरु आनद और मुक्ति का दाता है। अपने कहा नववर्ष में हम सभी अपने विकारों को दूर करें और जीवन में सहजता और भक्ति के मार्ग पर कदम बढ़ाते हुए। मानवता को अपनाये। आपने सभी के भले की कामना करते हुए जीवन को आनंदमय जीने की प्रेरणा प्रदान की।