एक नवजात के लिए उसकी माँ से बड़ा रक्षक कोई नहीं !

..दृश्य बिहार के “बाढ़” रेलवे स्टेशन का है….*

विक्रमशिला एक्सप्रेस पूरी रफ्तार से हवाओं को चीरते हुए बाढ़ स्टेशन पर दाखिल होती है…तभी एक नवजात रेंगते सरकते हुए प्लेटफॉर्म और पटरियों के बीच गिर जाता है….इतना भी वक्त नहीं कि कोई कूद कर बच्चे को उठा सके…
ट्रेन की रफ्तार तीव्र से तीव्रतम होती जा ही थी कि बच्चे की माँ का अदम्य देखिए….वो बच्चे को बचाने के लिए बिना एक पल व्यर्थ गवाए पटरियों पे कूद जाती है।
ट्रेन धड़धड़ाते हुए स्टेशन पार कर जाती है….ईश्वर भी देखता है कि जब बचाने के लिए स्वयं माँ कूद पड़ी है तो जिसकी मज़ाल है कि एक खरोंच भी लग सके।

एक नवजात के लिए उसकी माँ से बड़ा रक्षक कोई नहीं !

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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