ऑटो चालकों की ओर से रेलवे प्रशासन पर अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप, 6 जनवरी को सांकेतिक हड़ताल की चेतावनी
आज समाचार पत्रों में एक गंभीर आरोप सामने आया है, जिसमें ऑटो चालक और रेलवे प्रशासन के बीच प्रीपेड वसूली को लेकर विवाद की बात सामने आई है। खबर के अनुसार, रेलवे प्रशासन द्वारा ऑटो चालकों से ₹3000 की प्रीपेड राशि जमा कराने का दावा किया गया है, जबकि वास्तविकता इससे अलग है। एक ऑटो चालक को छह महीने के लिए ₹3000 जमा करने होते हैं, जो कि साल में ₹6000 बनता है। कुल 150 ऑटो स्टैंड पर प्रीपेड से ₹9,00,000 से अधिक की राशि जमा होती है। इसी तरह, टैक्सी प्रीपेड स्टैंड में 40 गाड़ियों के लिए ₹3800 प्रति वाहन की वसूली की जाती है।
ऑटो चालकों का कहना है कि यदि रेलवे प्रशासन ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की तो अवैध वसूली और अधिक बढ़ जाएगी और स्टेशन पर गाड़ियों का जाम लगने लगेगा। शहर में कुल 28,000 ऑटो चलते हैं, और यदि स्टैंड को फ्री कर दिया गया तो ऑटो चालकों की भीड़ कैंट स्टेशन पर जमा हो जाएगी, जिससे भारी दुर्व्यवस्था पैदा हो सकती है।
रेल प्रशासन का आरोप है कि एक ऑटो की जगह 10 ऑटो खड़े होते हैं, जबकि रेलवे प्रशासन के पास आरपीएफ और जीआरपी दोनों होते हुए भी इस पर उचित कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
आटो चालकों का कहना है कि कुछ दिन पहले ऑटो स्टैंड में आकर सीएमआई धनंजय ने ऑटो चालकों से ₹3000 का प्रीपेड जमा करने के साथ ₹2000 अतिरिक्त देने का दबाव डाला। इस पर ऑटो चालकों ने देने से मना किया, जिसके बाद सीएमआई धनंजय और डायरेक्टर के बीच मिलीभगत से टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई, जिससे ठेकेदार को मनमानी करने का मौका मिल सकता है और अवैध वसूली शुरू हो जायेगी।
ऑटो चालकों ने लखनऊ मंडल के डीआरएम सहित उच्च अधिकारियों से इस मामले की विस्तृत जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। आटो चालकों ने कहा है कि अगर 1 जनवरी तक प्रीपेड की रसीद नहीं काटा गया तो ऑटो चालक 6 जनवरी को सांकेतिक हड़ताल करेंगे,आने वाले महाकुंभ के यात्रियों को जो दिक्कत होगी इसकी पूरी जिम्मेदारी स्थानीय रेलवे प्रशासन की होगी।