बरेली :: आज शनिवार को बीबीएल पब्लिक स्कूल की अलखनाथ शाखा में लगी दो दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी आईएएस जगप्रवेश ने विद्या-प्रदायिनी देवी ज्ञानदा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके पश्चात् प्रदर्शनी के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगे रिबन को काटकर हस्त-निर्मित माॅडलों का अवलोकन किया। ‘पंचमहाभूत’ को आधार मानकर विभिन्न विषयों के सौ से अधिक माॅडल विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित किये गये। प्रदर्शनी में आगन्तुकों के मानसिक व्यायाम हेतु खेल व जलपान के लिए भी स्टाॅल लगाये गये। विद्यालय के उन माॅडलों का भी प्रदर्शन किया गया जो राज्य स्तर पर सी0बी0एस0ई0 /इंस्पायर द्वारा पुरस्कृत होेने के पश्चात् राष्ट्रीय स्तर की प्रस्तुति हेतु तैयार हंै। इन सबके अतिरिक्त नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से विद्यार्थियों ने पाँचों तत्वों को प्रदूषण से बचाने व मातृ भाषा हिंदी के महत्त्व को समझने का संदेश दिया।
पंचतत्वों पर आधारित सभी विषयों के माॅडल, कला, संगीत, खेल एवं नुक्कड़ नाटक इत्यादि सभी प्रस्तुतियों की समस्त अतिथियों एवं अभिभावकों ने सराहना कर विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाया। अभिभावकों ने प्रधानाचार्य के कुशल नेतृत्व व शिक्षकों के सहयोग के लिए कृतज्ञता प्रकट करते हुए विद्यार्थियों की क्षमताओं एवं विचारशीलता की प्रशंसा की।
समस्त छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्द्धन करते हुए मुख्य अतिथि ने विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं विद्यालय प्रबंधन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी विद्यार्थियों के चहुँमुखी विकास हेतु एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है। जिसका लाभ उठाकर विद्यार्थी अपनी क्षमताओं मे वृद्धि कर सकते हैं।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रबन्धक महोदय श्री सर्वेश अग्रवाल जी ने समस्त विद्यार्थियों के मनोबल को बढ़ाते हुए कहा कि सभी माॅडल व उनसे दिए जाने वाले संदेश समाज को एक नई दिशा देंगे। सभी विद्यार्थियों का प्रयास उत्कृष्ट था। निश्चित ही इन सभी की प्रतिभा भविष्य में विद्यालय के लिए ही नहीं अपितु देश के लिए भी गौरव का विषय होगी।
विद्यार्थियों की लगन व उत्साह की प्रशंसा करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य डाॅ0 श्यामेश शर्मा जी ने कहा कि लक्ष्यप्राप्ति में लगन व उत्साह उत्प्ररेक का कार्य करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को आश्वस्त किया कि भविष्य में भी विद्यालय उन्हें ऐसे अवसर उपलब्ध कराता रहेगा ताकि उनकी रचनात्मकता, मौलिकता व शोध की प्रवृत्ति को उचित दिशा मिल सके ।।