क्या आपको मालूम है कि देश के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार में कौन कौन था. परिवार के सदस्य क्या कर रहे हैं. क्या फैमिली मेंबर्स ने कभी उनकी पोजिशन का फायदा लेने की कोशिश की.
तो ये जान लीजिए कि उनकी तीन बेटियां हैं और पत्नी. बेटियों ने पढ़ाई लिखाई के बाद अलग अलग क्षेत्र चुने और वहां उन्होंने अपनी खास जगह बनाई. वो शिक्षाविद हैं, इतिहासकार हैं, मानवतावादी हैं तो लेखक भी.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन बेटियां थीं – उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह. उनमें से प्रत्येक ने अपने-अपने क्षेत्रों में एक सफल करियर बनाया.
उपिंदर सिंह
पेशा: इतिहासकार और शिक्षाविद
वर्तमान भूमिका: अशोका विश्वविद्यालय में संकाय की डीन
शिक्षा: उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली और मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल से डिग्री प्राप्त कीं.
उपिंदर ने प्राचीन भारतीय इतिहास पर महत्वपूर्ण काम किया है. उन्होंने इस पर कई किताबें लिखी हैं. जिनमें प्राचीन और प्रारंभिक मध्यकालीन भारत का इतिहास और प्राचीन भारत में राजनीतिक हिंसा शामिल हैं. उन्हें हार्वर्ड और कैम्ब्रिज जैसे संस्थानों से प्रतिष्ठित फ़ेलोशिप मिली हैं. उन्हें 2009 में सामाजिक विज्ञान में इन्फोसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
दमन सिंह
पेशा: लेखक
दमन को उनके संस्मरण स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन और गुरशरण के लिए जाना जाता है, जो उनके पिता के प्रधानमंत्री बनने से पहले उनके पारिवारिक जीवन के बारे में जानकारी देती है.
4 सितंबर, 1963 को जन्मी दमन ने पर्यावरण मुद्दों सहित विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी हैं. दमन की शादी आईपीएस अधिकारी अशोक पटनायक से हुई. उनका एक बेटा भी है.
अमृत सिंह
पेशा: मानवाधिकार वकील और शिक्षाविद
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) में स्टाफ अटॉर्नी और स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल में कानून की प्रोफेसर
अमृत ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर बनीं. फिर येल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की.
उन्होंने महत्वपूर्ण कानूनी मामलों पर काम किया. पहले ओपन सोसाइटी इनिशिएटिव के लिए वकील के रूप में काम किया. उनके अनुभव में कई प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्यापन शामिल है.
तीनों बेटियों ने न केवल अपने पिता की विरासत को कायम रखा बल्कि शिक्षा, साहित्य और मानवाधिकार वकालत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. कहना चाहिए कि मनमोहन सिंह की बेटियों ने सार्वजनिक जीवन में अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों और व्यक्तिगत दृष्टिकोणों के माध्यम से अपने तरीके से प्रभाव डाला.
उपिंदर ने की थी संजय बारू की किताब की आलोचना
मनमोहन सिंह की इतिहासकार और प्रोफेसर बेटी उपिंदर सिंह ने संजय बारू द्वारा लिखित संस्मरण द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर की सार्वजनिक रूप से आलोचना की, जिसमें उनके पिता को नकारात्मक रूप में चित्रित किया गया. उन्होंने संस्मरण को “विश्वास का बहुत बड़ा विश्वासघात” और “शरारती और अनैतिक” कृत्य बताया. तर्क दिया कि इसमें उनके पिता के अधिकार और उनके कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी के भीतर की गतिशीलता को गलत तरीके से पेश किया गया.
दमन सिंह ने पिता पर किताब लिखी
दूसरी बेटी दमन सिंह ने पिता पर किताब लिखी. उनकी किताब का टाइटल था, स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण. ये किताब उनके परिवार के जीवन और राजनीतिक जीवन के दौरान आने वाली चुनौतियों पर अंतरंग नज़र डालती है. इस किताब में पिता के व्यक्तिगत किस्से हैं, जो मनमोहन सिंह के चरित्र को गहराई से रू-ब-रू कराती है.
अमृत ने वकालत में काम किया
तीसरी बेटी अमृत सिंह ने मानवाधिकार वकील के रूप में ईमानदारी और न्याय के मूल्यों पर काम किया. कुल मिलाकर, मनमोहन सिंह की बेटियों ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और पिता का बचाव भी किया.
क्या है अभी बेटियों की उम्र
सबसे बड़ी बेटी उपिंदर सिंह की उम्र 65 साल है. उनके पति विजय तन्खा एक शिक्षाविद और लेखक हैं. उनके दो बच्चे हैं. दमन सिंह 61 साल की हैं. उनके पति अशोक पटनायक सीनियर आईपीएस अफसर थे. उनके एक बेटा है. तीसरी बेटी अमृत सिंह 58 साल की हैं. उनके पति के बारे में जानकारी पब्लिक डोमैन पर उपलब्ध नहीं है.