सपा प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजादी के 75 वर्ष पर लोकसभा में संविधान पर चर्चा में बोलते हुए कहा कि संविधान हम सबका रक्षा कवच है। हम सबकी ढाल है। संविधान हमें शक्ति देता है। संविधान ही देश की 90 फीसदी उपेक्षित पीड़ित, वंचित जनता के अधिकारों का सच्चा संरक्षक है। देश के कमजोर वर्ग खासकर पीडीए के लिए संविधान की रक्षा जन्म-मरण का विषय है। संविधान ही लोकतंत्र की प्राणवायु है। डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा हो यदि उसे लागू करने वाले अच्छे नहीं होंगे तो परिणाम अच्छे नहीं निकलेंगे। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना उसका निचोड़ है। उसमें सरकार के उद्देश्यों का स्पष्ट उल्लेख है। संविधान में सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य का उल्लेख है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस सरकार में लोकतंत्र के साथ जितना खिलवाड़ हुआ है ऐसा कभी नहीं हुआ। संविधान को परतंत्र बनाकर जो लोग राज करना चाहते हैं उनके लिए आजादी का अमृतकाल सिर्फ जुमला है। उन्होंने कहा कि आज अन्याय के खिलाफ बोलने पर जेल हो रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ देशद्रोह हो गया है। इस सरकार में अगर कोई भाजपा के मत का नहीं है, दूसरी विचारधारा और धर्म का है तो पूजा करने पर भी दिक्कत पैदा की जा रही है। हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने वाले लोग देश में शांति नहीं रहने देना चाहते हैं। उन्हें कानून की कोई परवाह नहीं। इस सरकार में लोगों की गरिमा लिंचिंग से धूल धूसरित हो चुकी है। उद्योगपति सरकारी आतंक से परेशान है। देश छोड़कर जा रहे हैं। आजादी के बाद कभी इतने उद्योगपति देश छोड़ कर नहीं गये जितना इस सरकार में चले गये। उन्होंने कहा कि अगर आपसी मतभेद पैदा किया जाएगा तो देश की एकता अखंडता के लिए खतरा होगा। संविधान में हर व्यक्ति के लिए कानून की समानता है। लेकिन भाजपा सरकार में एक ही कानून लोगों के लिए अलग-अलग है। सŸाा पक्ष के लोग अगर गाली देते हैं तो भी जी हजूरी होती है और विपक्ष के लोग न्याय और हक मांगने जाते हैं तो उन्हें लाठी मारी जाती है। भाजपा सरकार में संविधान के मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग हो रहा है। फर्जी एनकाउण्टर में हत्याएं हो रही है। जेल के अंदर हत्याएं हो रही है। पुलिस अभिरक्षा में हत्याएं हो रही है। ईडी के जरिए किसी को भी बिना नोटिस जेल में डाल दिया जा रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में जो हालत है, ऐसी कभी नहीं देखी गयी। कानून की धज्जियां उड़ायी जा रही है। उत्तर प्रदेश में लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। न्याय न मिलने से लोग आत्मदाह कर रहे हैं। तहसील, थाने यहां तक कि मुख्यमंत्री आवास के सामने लोग आत्मदाह करने पर विवश है। यूपी कस्टोडियल डेथ में देश में सबसे आगे है। महिला उत्पीडन में नम्बर एक पर हैं यह सब सरकार के ही आंकड़े है। उ कहा कि भाजपा सरकार ने निवेश और नौकरियों के बड़े-बड़े सपने दिखाए लेकिन नौजवानों को नौकरिया नहीं मिली। उत्तर प्रदेश विकास के हर मानक में पीछे है। जानबूझकर पेपर लीक कराया जाता है। परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए पेपर लीक कराये जाते है। अग्निवीर आधी-अधूरी नौकरी है। हम लोग इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। हम जब भी सत्ता में आयेंगे सेना भर्ती की पुरानी व्यवस्था लागू करेंगे। जवान पक्की वर्दी पहनेंगे तो देश की सीमाएं और मजबूत होंगी। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी समेत देश के संविधान निर्माताओं को याद करते हुए उन्हें नमन किया। बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने हमें महान संविधान देने का काम किया। उनकी प्रबुद्ध दृष्टि का परिणाम है कि हमारे पास न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व के सिद्धांतों पर आधारित हमारा एक महान संविधान है। भारत राज्यों का एक संघ है। हमें विविधता में एकता पर गर्व है। हमारे संविधान ने भाषाई, क्षेत्रीय, धार्मिक और जातीय विविधता वाले भारत देश को एक साथ रखा है। संविधान बनाने के समय बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि हम उसके अनुसार कैसे कार्य करते हैं। विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की जिम्मेदारी है कि इस महान देश का शासन हमारे संविधान में निहित उच्च सिद्धांतों के अनुसार चलाया जाये। उन्होंने कहा था कि हमने संविधान का निर्माण बहिष्कृत, वंचित वर्गों को अधिकार दिलाने के लिए किया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सीमाओं की रक्षा करना सम्प्रभु राष्ट्र का प्रथम कर्तव्य है। लेकिन आज कई जगह पर सीमाएं सिकुड़ रही है। पड़ोस में चीन सीमा पर कितने गांव बस गए है। सीमा पर रेजांग्ला के मेमोरियल को तोड़ दिया गया। आज रेजांग्ला मेमोरियल वहां नहीं है, जहां पहले था। अगर इस पर गंभीरता से न विचार किया गया तो एक दिन पड़ोसी देश हमारे लोगों को कैलाश और मानसरोवर जाने से रोक देगा। यह सोचने का विषय है। आजादी के 75 साल बाद हमारी सीमाएं कितनी सुरक्षित है? वह सिकुड़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि संविधान में समाजवादी गणराज्य का उल्लेख है। जिसका अर्थ है देश में समता और सम्पन्नता हो लेकिन 2014 के बाद देश में विषमता इतनी तेजी से बढ़ी है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। हालत यह है कि देश की 140 करोड़ की आबादी में से 82 करोड़ लोग सरकारी अन्न पर जिंदा है। जब 82 करोड़ लोग सरकारी अन्न पर जिंदा है और देश की दो तिहाई सम्पत्ति पर कुछ परिवारों का कब्जा है। अगर सरकार में हिम्मत है तो बताएं कि 60 फीसदी गरीबी से नीचे रहने वाले लोगों की प्रति व्यक्ति आय क्या है?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष राज्य की बात करता है। राज्य की नज़र में सब बराबर है। संविधान सेकुलर इक्वलिटी सिखाता है। क्या सरकार इस पर अमल कर रही है। देश की दूसरी बड़ी जनसंख्या 20 करोड़ मुसलमानों को देश का दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का प्रयास हो रहा है। उन पर अत्याचार प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उनकी सम्पत्ति को लूटा जा रहा है। हत्याएं की जा रही है। घर तोड़े जा रहे हैं। प्रशासन की मदद से उनके पूजा स्थलों पर कब्जा हो रहा है। अगर यही धर्मनिरपेक्षता है तो धर्म शासित राज्य की क्या परिभाषा है? उन्होंने कहा कि अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में जानबूझकर कई घटनाएं हुई। उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान लोगों को वोट डालने के अधिकार से रोका गया। जो लोग वोट डालने जा रहे थे उन्हें डराया, धमकाया गया। बूथों पर जाने से रोकने के लिए पूरा सरकारी तंत्र लगा दिया गया। पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासन के इशारे पर एक पुलिस अधिकारी ने महिलाओं को रिवाल्वर दिखाकर धमकाया और वोट डालने से रोका। सच्चे लोकतंत्र में जनता स्वतंत्रता पूर्वक मतदान करती है, लेकिन जिस तरह का दृश्य उत्तर प्रदेश में दिखाई देता है, क्या यही लोकतंत्र है। यह सरकार सरकारी मशीनरी के जरिए जहां चाहे अपनी सरकार बना लेती है। जनता के मत का कोई अर्थ नहीं है। इसे लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता है। यह व्यवस्था तानाशाही की तरफ बढ़ रही है। हिटलर ने भी जनता द्वारा चुने जाने के बाद संविधान में संशोधन करके तानाशाही कायम कर दी थी। यह सरकार उसी तरह तानाशाही कर रही है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हम सभी जातियों को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए जातीय जनगणना चाहते है। अगर यह सरकार जातीय जनगणना नहीं करायेगी तो जब हमें मौका मिलेगा, हम जातीय जनगणना कराएंगे और अधिकारों से वंचित जातियों को उनका हक दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षण पिछड़ों, दलितों और वंचित जातियों को सामाजिक न्याय दिलाने का बड़ा अस्त्र था लेकिन यह सरकार उसे समाप्त कर रही है। आउटसोर्सिंग और कन्ट्रैक्ट पर जो नौकरियां दी जा रही है उनमें दलितों पिछड़ों को आरक्षण नहीं है। शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में चयन के समय दलित, पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के सामने नाट फाउण्ड सुटेबल लिख दिया जाता है। सरकारी उपक्रम बेचे जा रहे है। प्राईवेट उपक्रमों में आरक्षण नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय शिक्षामंत्री केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों की सूची जारी करके बताएं कि कितने प्रतिशत दलित, पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर हैं। यह सरकार केवल 10 फीसदी लोगों के लिए काम कर रही है। 90 फीसदी का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना जातीय भेदभाव नहीं बढ़ायेगा बल्कि यह जातियों के बीच दूरियां कम करेगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक न्याय के बगैर सामाजिक और राजनीतिक न्याय नहीं मिल सकता है। यह धन्नासेठो की सरकार गरीबी का नाजायज फायदा उठाकर राजनीतिक न्याय का अपहरण कर रही है। कर्ज में डूबी बड़ी आबादी महाजन के दबाव में अपनी इच्छा के विरूद्ध वोट देने पर विवश है। चुनाव में सत्ताधारी दल के पैसे के सामने कोई सामान्य कार्यकर्ता चुनाव नहीं लड़ पा रहा है। पैसे के बल पर बड़े पैमाने पर धनवान चुनाव जीत कर आते है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो न्याय बचेगा, न्याय बचेगा तभी सबको बराबरी और सम्मान और बराबर मौके मिलेंगे। भेदभाव मिटेगा। इसलिए संविधान को बचाने के लिए एक और करो और मरो आंदोलन की जरूरत है। पिछले चुनाव में सत्तापक्ष के बहुत लोग कहते थे कि संविधान बदल देंगे। मैं जनता को धन्यवाद करता हॅू कि उन्होंने भाजपा के चार सौ पार के नारे को गिरा दिया और विपक्ष को इतनी ताकत दे दी कि भाजपा का संविधान बदलने का सपना तोड़ दिया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संविधान चर्चा पर अपनी बात इन लाइनों को कहते हुए समाप्त की-
न मेरा है न तेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है।
नहीं समझी गयी यह बात तो नुकसान सबका है।
हजारों रास्ते खोजे गए उस तक पहुंचने के।
मगर पहुंचे हुए लोग कह गए भगवान सबका है।
जो इस मंजिल गयी नदियां दिखाई नहीं देती।
महासागर बनाने में मगर एहसान सबका है।
अनेकों रंग, खुशबू, नस्ल के फल फूल पौधे हैं।
मगर उपवन की इज्जत आबरू, ईमान सबका है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस चर्चा के बाद बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के दिए हुए संविधान को बदलने का सपना नहीं देखा जाएगा। साथ ही साथ डॉ राममनोहर लोहिया जिन्होंने समाजवादी आंदोलन का रास्ता दिखाया था, नेताजी ने संघर्ष करके इस जगह पहुंचाया, जयप्रकाश नारायण जी ने सम्पूर्ण क्रांति का नारा देकर देश को आह्वान किया था, उन सभी महान नेताओं को याद करता हॅू।