
उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने की समस्या बढ़ती जा रही है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने सरकार पर पत्रकारों के उत्पीड़न पर अनदेखी करने का लगाया आरोप।
कहां लोकतंत्र का चौथा स्तंभ खतरे में।
नई दिल्ली कार्यालय।
पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य लोगों को सूचित करना, उन्हें सशक्त बनाना, और एक बेहतर समाज बनाने में मदद करना है। लेकिन जब पत्रकारों को प्रताड़ित किया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है ।
इस समस्या का समाधान करने के लिए, सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता की गारंटी देनी चाहिए। इसके अलावा, मीडिया संगठनों और पत्रकारों को भी अपनी जिम्मेदारी का पालन करना चाहिए और सत्य, निष्पक्षता, और स्वतंत्रता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए ।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी के प्रमुख एके बिंदुसार ने कहा कि मीडिया की आज़ादी खतरे में है
सरकार पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को निशाना बनाना, उन पर मुकदमे चलाना बंद करे
उन्होंने कहा कि भारत का सरकारी तंत्र सरकार की नीतियों और कार्रवाइयों की आलोचना के लिए पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को अधिकाधिक निशाना बना रहा है, जिसमें आतंकवाद-निरोधी और राजद्रोह कानूनों के तहत मुकदमा चलाना शामिल है।
भारत सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए मनगढ़ंत या राजनीति से प्रेरित आरोपों में हिरासत में लिए गए तमाम पत्रकारों को रिहा कर देना चाहिए. साथ ही, पत्रकारों को निशाना बनाना और स्वतंत्र मीडिया के मुंह पर ताले लगाना बंद करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों स्तरों पर बेखौफ़ होकर धमकाने, हैरान-परेशान करने और पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मीडिया की आज़ादी पर बढ़ते प्रतिबंधों के बीच, भारतीय सरकारी तंत्र ने पत्रकारों एवं आलोचकों एवं स्वतंत्र समाचार संगठनों को नियमित रूप से निशाना बनाया है, जिसमें उनके कार्यस्थलों पर छापेमारी भी शामिल है।
पत्रकार और ऑनलाइन आलोचकों के समक्ष सरकार की आलोचना करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और आईटी नियमावली के तहत मुकदमा दर्ज होने का भी खतरा है।
मीडिया की आज़ादी पर ये प्रतिबंध ऐसे समय में आए हैं जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार नागरिक समाज को समान अधिकार एवं मीडिया की सुरक्षा पर बात कर रही है और वही दूसरी ओर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों, सरकार की आलोचना करने वालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों का इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया समूहों के पत्रकारों पर खतरा ज्यादा है।
भारत में अनेक महिला पत्रकारों, खास तौर से जो सरकार की आलोचना करती हैं, को सोशल मीडिया पर बढ़ती धमकियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें बलात्कार और हत्या की धमकी शामिल है. ऐसी धमकियां अक्सर खुद को सत्ता समर्थक बताने वाले सोशल मीडिया यूजर्स देते हैं।
उन्होंने कहा कि इधर 1 वर्षों में पत्रकारों के ऊपर काफी उत्पीड़न का मामला बढ़ता दिखाई दे रहा है।