जौं मम चरन सकसि सठ टारी । फिरहिं राम सीता मैं हारी।।
अर्थात अंगद ने जाकर लंका में जमाया अपना पॉंव
सिद्धार्थनगर । डुमरियागंज तहसील क्षेत्र ग्राम पंचायत चौखड़ा में चल रहे रामलीला कार्यक्रम में बीती रात्रि में अंगद रावण संवाद प्रमुख रहा जिसमें
अंगद कहते हैं कि जौं मम चरन सकसि सठ टारी । फिरहिं राम सीता मैं हारी।।
अर्थात मैं अपना अपना पांव पृथ्वी पर जमा रहा हूं यदि कोई योद्धा है तो मेरा पैर हटा दें सभी लोग परेशान हो जाते हैं पर हिला तक नहीं पाते हैं । रामलीला के कार्यक्रम में दिखाया गया कि लंका जलाने के बाद हनुमान जी सीता जी के पास पहुंचते हैं वह अपनी चूड़ामणि हो देती हैं, हनुमान जी समुद्र के इस पर आते हैं जहां अंगद ,जामवंत आदि वानर मिलते हैं । सभी लोग रामचंद्र जी के पास पहुंचे हैं हनुमान जी रामचंद्र जी को सीता जी के बारे में बताते हैं तथा कहते हैं कि एक महीने के अंदर लोग वहां नहीं पहुंचे तो सीता जी प्राण त्याग देगी सभी लोग लंका की तरफ चल देते हैं उधर लंका में विभीषण रावण को समझते हैं लेकिन रावण उन्हें लात मार कर निकाल देता है वह राम के शरण में आ जाते हैं सभी लोग समुद्र से प्रार्थना करते हैं लेकिन समुद्र कुछ नहीं बोलता है फिर रामचंद्र जी अग्निबाण उठाते हैं समुद्र प्रकट होता है तथा नल नील से पुल बांधने को कहता है पुल बांध देते हैं जहां शंकर जी का स्थापना श्री रामचंद्र जी करते हैं सभी लोग लंका में पहुंचते हैं यह होता है कि अब क्या किया जाए तब सुग्रीव कहते हैं कि अंगद को लंका में भेजा जाए रामचंद्र जी अंगद को लंका भेजते हैं जहां रावण से उनका संवाद होता है रावण अंगद को बहुत कुछ कहता है अंगद कहते हैं कि मैं अपना अपना पांव पृथ्वी पर जमा रहा हूं यदि कोई योद्धा है तो मेरा पैर हटा दें सभी लोग परेशान हो जाते हैं पर नहीं हिला पाते हैं तब रावण उठता है अंगद जी पांव हटाकर कहते हैं तुम मेरे पांव नहीं बल्कि श्री राम के पांव को पकड़ो जहां से तुम्हारा कल्याण होगालेकिन रावण ऐसा नहीं करता है और युद्ध करने की बात कहता है अंगद जी वापस चले जाते हैं वानर दलों द्वारालंका पर आक्रमण किया जाता है। इस अवसर पर अरुण कुमार सिंह, मंगल हलवाई ,गोपाल ,विनोद, जिगर , अंतरिक्षप्रताप सिंह, अंशुमान सिंह ,जयशंकर मिश्रा, रबी ,मोहित ,प्रेम ,सोनू, शिवम, मुन्ना, भानु ,विनोद ,धीरू ,गोपाल, धनेश यादव ,बजरंग मिश्रा, विजय ,गुड्डू यादव,कुलदीप सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।