
भारतीय लोकतंत्र के लिये प्रेस की स्वतंत्रता का महत्त्व अत्यधिक है। प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की जान है, जो सरकार और जनता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करती है। यह न केवल सरकार की गतिविधियों पर नज़र रखती है, बल्कि जनता की आवाज़ को भी प्रकट करती है ¹।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) में प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है, जो प्रत्येक नागरिक को भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है ¹।
इसके अलावा, प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए कई अधिनियम और नियम बनाए गए हैं, जैसे कि प्रेस अधिनियम 1951, प्रकाशन निवारण अधिनियम 1976, और अनुच्छेद 361(क) ¹।
प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। कई न्यायिक निर्णयों ने प्रेस की स्वतंत्रता को मजबूत किया है, जैसे कि वीरेन्द्र बनाम पंजाब और मेनका गांधी बनाम भारत संघ ¹।
इन उपायों के बावजूद, प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। यह न केवल प्रेस की जिम्मेदारी है, बल्कि सरकार और जनता की भी जिम्मेदारी है कि वे प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने में सहयोग करें।