बाढ़ प्रभावित किसानों को सरकार दे मुआवजा=देवेन्द्र लोधी


बाढ़ से किसानों की फसल हुई जलमग्न, मजदूर भुखमरी के कगार पर।
एटा,
जनपद एटा में तेज बारिश के कारण और नहर कटने के कारण बाढ़ आ जाने से सर्वाधिक नुकसान निधौली कलां और सकीट विकासखंड क्षेत्र में हुआ है। जिससे किसानों की कीमती फैसले पूरी तरह से जलमग्न होकर नष्ट होती जा रही है। लाख प्रयास के बावजूद भी किसान अपनी फसलों को सुरक्षित करने में नाकाम है। इसलिए किसानों की फैसले जलमग्न होने के कारण नष्ट हो रही है। जिला प्रशासन को सरकार के प्रतिनिधियों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा भी कर लिया है। इस बीच भूमि हीन किसान/ मजदूर के लिए मजदूरी न मिलने के कारण भुखमरी के कगार पर आ गए हैं और अभी तक बाढ़ पीड़ितों के लिए सरकार और जिला प्रशासन ने कोई भी मुआवजा संबंधी घोषणा सार्वजनिक नहीं की है।पंचायत विकास संस्थान उत्तर प्रदेश के सचिव, राष्ट्रीय लोधी महासभा के जिलाध्यक्ष, भाजपा नेता देवेंद्र कुमार लोधी ने उत्तर प्रदेश सरकार वह जिला प्रशासन से मांग की है कि बाढ़ पीड़ित किसानों को सरकार मुआवजा दे और मजदूरों को भरण पोषण की व्यवस्था कराएं।
उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि देश के उत्थान और विकास में किसानों और मजदूरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है अगर देश का अन्नदाता कहा जाने वाला किसान ही अपने नुकसान पर आंसू बहाने लगेगा, तो वह देश के विकास में भूमिका कितने समय तक और कैसे निभा पाएगा। किसान और मजदूर सरकार की रीड की हड्डी की तरह होते हैं बाढ़ पीड़ित किसानों के घर का दौरा सरकार के प्रतिनिधि करें, तो उनको उनके परिवार का दर्द जरूर महसूस हो सकता है। किसानो की फसलों में मुख्य फसलें धान, बाजरा ,मक्का, पशुओं का चार और सब्जियों में, बंद गोभी, फूल गोवी,लौकी, भिंडी, काशीफल, मूली, हरी मिर्च, अरबी, बैगन, पालक, धनियाआदि फसले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 80% तक नष्ट हो गई हैं। जिससे किसान परेशान नजर आ रहे हैं। सोचो अगर यह फसले शहरी जीवन यापन करने बालो को ना मिले तो तेजी से बढ़ती महंगाई में और तड़का लगाने जैसा होगा। मजदूरों को मजदूरी न मिलने के कारण उसके परिवार का भरण पोषण कैसे संभव हो सकेगा। इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
अंत में उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर लेखपालों के माध्यम से चिन्हित कराकर प्रति बीघा के हिसाब से किसानों को मुआवजा फसलों के हिसाब से किया जाना चाहिए, और मजदूरों को उनकी मजदूरी के हिसाब से परिवार भरण पोषण हेतु जिला प्रशासन की मदद से सरकार को फ्री खाद्यान की व्यवस्था और आर्थिक धन की व्यवस्था करने की पंचायत विकास संस्थान के सचिव देवेंद्र कुमार लोधी ने मांग की हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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